भोपाल। मप्र के 40 हजार स्कूलों में शौचालय निर्माण एवं पुननिर्माण की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इसके लिए करीब 600 करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। सरकार कई अलग अलग माध्यमों से पैसा जुटाने की तैयारी कर रही है, शौचालय इस तरह से बनाने का प्रयास है कि मोदी के स्वच्छता अभियान में अव्वल नंबर मिल जाए।
प्रदेश के शौचालय विहीन स्कूलों में अब कॉर्पोरेट सेक्टर और सरकारी कंपनियों की मदद से टॉयलेट बनेंगे। राज्य सरकार धन इकठ्ठा करने के लिए मुख्यमंत्री स्वच्छता कोष बना रही है। केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम भी इस अभियान में राज्य सरकार के साथ रहे हैं। सांसद और विधायक निधि का उपयोग भी इसमें किया जाएगा।
वर्तमान में राज्य के एक तिहाई सरकारी स्कूलों में टॉयलेट नहीं है या फिर उपयोग करने लायक नहीं बचे। एक रिपोर्ट के मुताबिक छात्राओं का पढ़ाई बीच में छोड़ने का एक कारण स्कूलों में टॉयलेट नहीं होना भी सामने आया है। प्रदेश में प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी स्तर के स्कूलों में अभी 17, 851 टॉयलेट्स की आवश्यकता है। इनके निर्माण में लगभग तीन सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अलावा 23,359 स्कूलों में बने टॉयलेट उपयोग में नहीं आते। इनके पुनर्निर्माण पर लगभग 260 करोड़ रुपए खर्च संभावित है।
केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा मध्यप्रदेश में सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) के अंतर्गत 13363 शौचालयों के निर्माण पर सहमति दे दी है। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार कोल इंडिया लिमिटेड, नेशनल हाइड्रो पॉवर काॅरपोरेशन, गेल, एनटीपीसी आदि ने स्कूलों का चयन भी कर लिया है। केंद्र सरकार के कुछ मंत्रालयों ने भी इसमें रुचि दिखाई है।