जगदीश शुक्ला/मुरैना। चुनावों के दौरान प्रत्येक प्रत्याशी को एक निर्धारित रकम जमानत के तौर पर जमा करानी होती है, यह नियम चुनाव आयोग की ओर से बनाए गए हैं परंतु मुरैना में निर्धारित जमानत के इतर एक और जमानत राशि जमा कराई जा रही है। यह रकम जिला प्रशासन की ओर से निर्धारित की गई है।
जानकारी के अनुसार कैश बाण्ड के रूप में यह सुरक्षा राशि प्रत्याशियों से इस बात के लिये जमा कराई जा रही है कि वे चुनाव के दौरान किसी प्रकार का झगड़ा एवं फसाद नहीं करें। किसी प्रकार का झगड़ा अथवा फसाद कराने पर यह राशि राजसात करने की बात भी अधिकारियों द्वारा कही जा रही है।
हैरानी इस बात की है कि भारतीय लोकतंत्र में गरीब एवं अमीर सभी को चुनाव लडऩे का समान अधिकार है, इसके बावजूद जिले के अधिकारियों ने त्रिस्तरीय पंचायती राज में प्रत्याशियों से चुनाव लडऩे के लिये कैश बाण्ड के रूप में हजारों की राशि जमा कराये जा रही है। कैश बाण्ड जमा कर पाने में असमर्थ अभ्यर्थियों को चुनावों के दौरान पुलिस द्वारा गिरफ्तार कराये जाने का भय भी दिखाया जा रहा है। प्रशासन द्वारा तय की गई जमानत राशि 5 हजार से 50 हजार तक अलग अलग प्रत्याशियों के लिए अलग अलग तय की गई है।
यह दिया जा रहा है तर्क
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कैश बाण्ड जमा कराये जाने के संबंध में जो तर्क दिया जा रहा है वह भी पूरी तरह हास्यास्पद है। अधिकारियों का कहना है कि कार्यपालन अधिकारी को जा.फौ.की धारा 111 के तहत इस प्रकार के अधिकार है कि पुलिस के इस्तगासा के आधार पर यदि उसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा लड़ाई झगड़ा होने की संभावना प्रतीत होती है तो वह उसे 107/116 के तहत बाण्ड ओब्हर कराने का प्रावधान है।
झूठे इस्तगासा कराये जा रहे हैं तैयार
प्रशासन द्वारा अपने हिटलरी आदेशों के पालन कराने के लिये पुलिस अधिकारियों से भी चुनाव लड़ रहे अभ्यर्थियों के खिलाफ झूठे इस्तगासा तैयार कराये जा रहे हैं। जो अभ्यर्थी कैश बाण्ड जमा कराने से इंकार करता है अथवा असमर्थता जाहिर करता है उसके खिलाफ संबंधित पुलिस थाने से फर्जी इस्तगासा तैयार करबाकर उसे प्रताडि़त किये जाने का भय दिखाया जाता है।
कई लोग चुनाव से वंचित
प्रशासनिक अधिकारियों के इस तानाशाही पूर्ण आदेश के कारण जिले में कई गरीब लोग चुनावों से बंचित रह गये हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के इस अजीबोगरीब आदेश के कारण एसे कई प्रत्याशी जिनके पास जमा कराये जा रहे कैश बाण्ड की राशि की ब्यवस्था नहीं हो सकी वेजनता में लोकप्रिय होने के बावजूद चुनाव मैदान में ही नहीं उतरे हैं।
नहीं दी जा रही पक्की रसीद
गौरतलब है कि जिले में बगैर निर्वाचन आयोग के किसी प्रकार के निर्देशों के प्रत्याशियों द्वारा कैश बाण्ड के रूप में जमा की जा रही हजारों की राशि की अधिकारियों द्वारा प्रत्याशियों को कोई पक्की रसीद भी नहीं दी जा रही है। एक कागज के टुकड़े पर कैश की प्राप्ति की कच्ची रसीद में इस बात का भी उल्लेख नहीं है कि यह राशि किस अधिकारी द्वारा किस प्रयोजन के लिये जमा कराई गई है।