वैभव श्रीधर/भोपाल। आदिवासी ब्लॉक के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार पहली बार भर्ती में आरक्षण से छूट दे सकती है। आदिम जाति विभाग के स्कूलों में अभी गणित, भौतिकी, रसायन और अंग्रेजी के 12 हजार से ज्यादा पद खाली हैं।
संविदा शिक्षक से भरे जाने वाले इन पदों के लिए योग्य दावेदार ही सामने नहीं आ रहे हैं। इससे शिक्षा पर पड़ रहे फर्क को मद्देनजर रखते हुए विभाग ने भर्ती में आरक्षण से एक बार के लिए छूट देने की सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है।
प्रशासनिक अनुमोदन होने के बाद अब प्रस्ताव को निर्णय के लिए कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। जानकारी के मुताबिक झाबुआ में 85, आलीराजपुर 89, बड़वानी 67 और धार में 55 फीसद संविदा शिक्षकों के पद खाली हैं।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित संविदा वर्ग एक के स्वीकृत 5 हजार 480 पदों में से 3 हजार 620 और वर्ग दो के 22 हजार 900 में से 9 हजार 300 खाली हैं।
विभाग के अफसरों का कहना है कि भर्ती जिलों के रोस्टर के हिसाब से होती है। यही वजह है कि 2011 में व्यावसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से हुई संविदा शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में आदिम जाति वर्ग के योग्य व्यक्ति ही नहीं मिले। इसकी वजह से स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है।
इसका सीधा असर गुणवत्ता और भर्ती प्रक्रिया पर पड़ रहा है। कोर विषयों (भौतिकी, गणित, रसायन, जीवविज्ञान और अंग्रेजी ) के 75 से 90 प्रतिशत तक पद खाली हैं। इस समस्या को हल करने केवल कोर विषयों की भर्ती को एक बार आरक्षण से मुक्त करने का प्रस्ताव है। विभागीय स्तर पर इसे प्रशासकीय अनुमोदन भी मिल गया है। अब इसे अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
क्यों बनें हालात
आदिम जाति कल्याण विभाग 89 आदिवासी ब्लॉक में करीब 1 हजार 700 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित करता है। शिक्षकों की कमी की वजह जानने विभाग ने बीते कुछ सालों में हुई भर्तियों की स्टडी की। इसमें ये तथ्य सामने आए कि शिक्षकों की कमी के कारण आदिम जाति वर्ग के बच्चे तैयार नहीं हो पा रहे हैं।
2011 में संविदा शिक्षकों की भर्ती हुई थी
स्वीकृत पदों के खिलाफ वर्ग 1 में गणित के 4, भौतिकी के 6 और रसायन विषय के मात्र 3 आवेदन आए। इसी तरह वर्ग 2 में गणित के 44 और अंग्रेजी के 113 आवेदन ही आए। इसकी वजह से आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में कोर विषयों का अध्यापन अतिथि शिक्षकों के भरोसे हो रहा है।
क्या और कैसे होगा
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि संविधान की अनुच्छेद 244 में अनुसूची पांच में प्रावधान है कि राज्यपाल केंद्र व राज्य के किसी अधिनियम के प्रावधान में संशोधन कर सकते हैं। इसके लिए अनुसूचित क्षेत्रों की प्रशासनिक आवश्यकताओं के मद्देनजर प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर होना चाहिए। इसी प्रावधान के अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल के सामने परिस्थितियां रखते हुए संविदा शिक्षकों की भर्ती एक बार के लिए आरक्षण के प्रावधानों को हटाकर करने की गुजारिश की जाएगी। ये मामला राज्यपाल से होता हुआ राष्ट्रपति तक जाएगा।
इनका कहना है
क्वालिफाइड लोग नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से पद रिक्त हैं। जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो आगे की व्यवस्था कैसे बनेगी। इसलिए संविदा शिक्षक वर्ग की भर्ती में आरक्षण से एक बार छूट का प्रावधान विभाग ने तैयार किया है। अंतिम निर्णय कैबिनेट ही करेगी। प्रकरण राज्यपाल तक जाएगा। संविधान में उन्हें ही इस तरह का कदम उठाने का अधिकार है।
ज्ञान सिंह
मंत्री, आदिम जाति कल्याण