ग्वालियर। मप्र हाईकोर्ट के जज एसके गंगेले के खिलाफ पूर्व महिला एडीजे की यौन उत्पीड़न की षिकायत की प्रारंभिक जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएच बाघेला से कराने का निर्णय लिया है। चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया एचएल दत्तू ने जस्टिस बाघेला को रिपोर्ट पेश कर यह बताने को कहा है कि क्या इस मामले में गहराई में जांच करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय हैं कि विस्तृत जांच के लिये तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया जाता है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसम्बर को म.प्र. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस द्वारा गठित जांच पैनल को भी भंग कर दिया था। म.प्र. के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित जांच समिति पर पूर्व महिला जज द्वारा लगाये गये सवालिया निशान के बाद शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आरोपित न्यायाधीश एसके गंगेले को प्रशासनिक कार्य से मुक्त किये जाने के निर्देष भी दिये थे। महिला जज का कहना था कि जो समिति गठित की गई है, उससे इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नही हैं। मामले की निष्पक्ष जांच के लिये अन्य राज्य के न्यायाधीशों की कमेटी गठित करने की मांग की गई थी।
दिल्ली में 15 साल तक वकालत करने के बाद मध्यप्रदेश उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर अक्टूबर 2012 को ग्वालियर में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं। महिला जज को अप्रैल 2013 में विषाखा कमेटी का चेयरपर्सन भी बनाया गया।
यह है मामला:
महिला जज ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के एक जज ने उन्हें अपने बंगले पर अकेले मिलने के लिए दबाव डाला। उन्होंने इसकी शिकायत देश के मुख्य न्यायाधीश तथा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से की। शिकायत में कहा गया कि हाईकोर्ट जज ने मोबाइल पर मैसेज भेजकर अपने घर पर आइटम सांग पर डांस करने के लिए बुलाया था लेकिन उन्होंने बेटी के जन्मदिन का बहाना बनाकर इसे टाल दिया था। ऐसा न होने पर उनका ट्रांसफर सीधी जिले में कर दिया गया था। महिला जज ने बेटी की पढ़ाई का हवाला देते हुए ट्रांसफर निरस्त करने की गुहार भी लगाई लेकिन स्थानांतरण निरस्त नहीं किया गया। इस पर उन्होंने 15 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।