भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा के उज्जैन संभाग के संगठन मंत्री ब्रजेश चौरसिया पर टिकिट बेचने का आरोप प्रमाणित पाया गया है। पार्टी फोरम पर उनके खिलाफ काली कमाई की शिकायत रतलाम के कुछ नेताओं ने की थी, पार्टी के कथित आंतरिक लोकायुक्त की ओर से इसकी जांच की गई जिसमें शिकायतें सही पाई गईं, चौरसिया के बैंक खाते में भी काली कमाई का रिकार्ड पाया गया। इसी के चलते उन्हें बीच पंचायत चुनावों में ही घर वापस भेज दिया गया।
सत्ता में आने बाद संघ एवं भाजपा में आई विक्रतियों का यह एक बड़ा मामला है। हालांकि ऐसे और भी कई प्रकरण हैं जो प्रकाश में आना शेष हैं परंतु ताजा मामले में भाजपा के उज्जैन संभाग के संगठन मंत्री ब्रजेश चौरसिया निशाने पर हैं। कहा जाता है कि ब्रजेश चौरसिया भाजपा के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के प्रिय सहयोगी थी और इसी के चलते ब्रजेश चौरसिया की पोस्टिंग के लिए एक नई सीट बनाई गई। उज्जैन संभाग को 2 भागों में बांटा गया और चौरसिया को रतलाम, मंदसौर और नीमच जिला दिया गया।
आरोप है कि चौरसिया ने हाल ही में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनावों में टिकिटों की खुली बिक्री की थी। इसके एवज में उन्होंने मोटी कमाई की और उनके बैंक अकाउंट में भी इसका कुछ हिस्सा जमा कराया गया। बाद में पार्टी फोरम पर इसकी शिकायत की गई और पार्टी की ओर से सांसद रघुनंदन शर्मा ने इस मामले की जांच की। जांच में टिकिटों का काला कारोबार प्रमाणित हुआ। जिसके चलते कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व ही चौरसिया को वापस घर भेज दिया गया। चौरसिया मूलत: यूपी के बांदा जिले के रहने वाले हैं।
अब क्या आ रहा है अधिकृत बयान
भाजपा की ओर से अधिकृत बयान बिल्कुल वैसा ही है जैसा हमेशा और ऐसे मामलों में पहले भी आता रहा है। कहा जा रहा है कि वो पूर्णकालिक थे, शेष समय परिवार को देना चाहते थे, इसलिए चले गए, लेकिन एन पंचायत चुनावों के वक्त एवं कार्यकाल पूर्ण होने से पहले क्यों चले गए, इसका कोई जबाव नहीं दिया जा रहा।
कौन होते हैं संगठन मंत्री
संघ एवं भाजपा में संगठन मंत्रियों को सन्यासी संतों के समतुल्य माना जाता है। ये लोग अपना घर परिवार छोड़कर संगठन के काम में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। पार्टी में इनका बड़ा सम्मान और रुतबा होता है। देखने में सामान्य से दिखने वाले ये संगठनमंत्री बड़े पॉवरफुल होते हैं एवं लाखों वोटों से जीतकर आने वाले जनप्रतिनिधि भी इनसे काफी घबराते हैं। कुल मिलाकर भाजपा की चाबी इन्हीं संगठन मंत्रियों के हाथ में होती है। बिना संगठनमंत्रियों की एनओसी के भाजपा का कोई भी नेता प्रमुख पदों तक नहीं पहुंच सकता, चाहे उसके पास कितना ही चमत्कारी जनाधार क्यों ना हो।
क्या कभी भी घर वापस जा सकते हैं संगठन मंत्री
संघ में संगठन मंत्रियों की नियुक्ति एवं वापसी की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है। कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब संगठन मंत्री नहीं बन सकता और ना ही वो मर्जी के मुताबिक वापस जा सकता है। संघ के वार्षिक सम्मेलन में संगठन मंत्रियों की घोषणा होती है और उसी सम्मेलन में यदि जरूरी हुआ तो संगठन मंत्री को वापस घर भेजने का निर्णय भी होता है। इससे पहले किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं किया जाता।
ऐसी स्थिति में यदि ब्रजेश चौरसिया को अचानक वापस भेज दिया गया है तो उठ रहे आरोपों को स्पष्ट रूप से नकारा नहीं जा सकता।