जेल में बंद कैदी को सेक्स का अधिकार

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी कैदी का सेक्स का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है। हाईकोर्ट ने यह बात फिरौती और उसके बाद बर्बरता से की गई नाबालिग की हत्या के मामले में फांसी और उम्रकैद की सजा भुगत रहे पति-पत्नी की याचिका पर कही। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कैद में रहते हुए बच्चे पैदा करने के अधिकार का नियम राज्य की तय नीति से होगा।

जेल में बंद दंपति ने दी थी अर्जी
मामले में पटियाला की सेंट्रल जेल में फांसी की सजा का इंतजार कर रहे जसवीर सिंह और उम्रकैद की सजा भुगत रही उनकी पत्नी सोनिया की याचिका हाईकोर्ट में पहुंची थी। जसवीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि उसे अपना वंश आगे बढ़ाना है और ऐसा करने के लिए हाई कोर्ट उसे बच्चा न होने तक उसकी पत्नी के साथ रहने की अनुमति दे, ताकि उसका वंश आगे बढ़ सके।

नीति बनाने के निर्देश
हाईकोर्ट ने याची की इस अपील को तो ठुकरा दिया, परंतु हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से जेल रिफोर्मस कमेटी बनाने को कहा है। इस कमेटी के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि जेल में कैदियों के लिए वैवाहिक संबंध स्थापित करने व फैमिली विजिट की व्यवस्था की संभावनाओं पर विचार करेगी। इस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर रिटायर जज को नियुक्ति दी जानी चाहिए और साथ ही इसके सदस्यों में सोशल साइंटिस्ट और जेल रिफोरमेशन एंड प्रिजन मैनेजमेंट एक्सपर्ट को शामिल किया जाए।

कमेटी कैदियों की कैटेगिरी तैयार करे
कमेटी को असाइन किए जाने वाले काम को लेकर भी जस्टिस सूर्यकांत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि वैवाहिक संबंध, फैमिली विजिट की सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिए कमेटी कैदियों की कैटेगिरी तैयार करे और इसी के अनुरूप दी जाने वाली सुविधाओं का भी निर्धारण किया जाए। ऐसी स्थिति के लिए भी संभावनाओं की तलाश की जाए कि यदि पति और पत्नी दोनों ही किसी जुर्म में सजा भुगत रहे हों तो क्या उन्हें साथ रहने का लाभ दिया जा सकता है। यदि हां तो कितना और किस प्रकार।

पूर्व में मिल रही सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में भी यह कमेटी विचार करेगी कि आखिर किस प्रकार जेल में बंद परिजनों के बच्चों पर पडऩे वाले बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है। उन बच्चों को अच्छा भविष्य दिया जा सकता है? साथ ही कैदी को लंबा समय अपने परिवार के साथ बिताने के लिए जिन मूलभूत आवश्यकताओं की पूति अनिवार्य है। उनकी संभावनाओं पर भी कमेटी विचार करे। इस कमेटी की जिम्मेदारियों का दायरा बढ़ाते हुए यह भी कहा गया है कि कैदियों को बाहर जाने के लिए दी जाने वाली सुविधाएं जो पैरोल और फरलो है उसके लिए बनाए गए नियमों और शर्तों पर भी एक बार फिर से गौर किया जाए।

एक साल में करेगी कमेटी रिपोर्ट तैयार
यह कमेटी एक साल के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और इसके लिए सभी मुख्य जेलों का निरीक्षण करेगी। राज्यों को भी हिदायत दी गई कि वे इस कमेटी को सभी तरह के खर्चों का भुगतान करें और सुविधाएं मुहैया करवाएं।

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