आखरी दिन अकेले पड़ गए आलोक

भोपाल। विधानसभा एवं लोकसभा में टिकिट कटने के बाद आलोक शर्मा को सीएम शिवराज सिंह चौहान की कृपा से क्षतिपूर्ति के रूप में महापौर का टिकिट तो मिल गया परंतु यह चुनाव उनके लिए कतई आसान नहीं रहा। शुरूआत अकेले से हुई थी और अंतिम दिन भी आलोक अकेले ही पड़ गए।

टिकिट मिलते ही स्पष्ट हो गया था कि भोपाल में भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा को खतरा कांग्रेस से कम, भाजपा से ज्यादा है। हुआ भी यही, चुनाव प्रचार की शुरूआत में ही भाजपाई दिग्गजों की नाराजगी सामने आ गई, लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के अतिरिक्त प्रेम के चलते आलोक शर्मा लगातार अति आत्मविश्वास में बने रहे। इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी आलोक शर्मा के लिए जमीन आसमान एक कर दिए। इतना परिश्रम तो उन्होंने अब तक किसी चुनाव में नहीं किया, जितना आलोक शर्मा के लिए किया गया। कड़कड़ाती सर्द रात में, गिरते कोहरे के बीच लोगों से वोटों की अपील की, उन्हें मालूम था कि आलोक शर्मा की योग्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकेगा अत: अपनी लोकप्रियता दांव पर लगाई, विकास की गारंटी ली, बातों बातों में वोटर्स को डराया भी कि भाजपा को वोट नहीं दिया तो विकास का पहिया थम सकता है। नुक्कड़ सभाएं लीं, जमीन पर बैठकर प्रचार किया।

शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों के चलते प्रचार अभियान के आखरी सप्ताह में आलोक शर्मा से नाराज भाजपाई दिग्गजों को भी घरों से बाहर निकलकर यह प्रमाणित करना पड़ा कि वो सचमुच आलोक के लिए काम कर रहे हैं, परंतु अंतिम दिन जब सारे गणित जमाए जाने थे, सीएम को दिल्ली जाना पड़ा और आलोक फिर अकेले पड़ गए।

वोटिंग से पहले रणनीति बनाने की मीटिंग का आयोजन किया गया। इस मीटिंग में कुछ जमीनी नेताओं के अलावा कोई खास दिग्गज उपस्थित नहीं हुआ। कुल मिलाकर आखरी दिन आलोक फिर अकेले पड़ गए।

यह पहली बार हुआ जब भोपाल के तमाम दिग्गज एक मंच पर प्रत्याशी के साथ हाथ पकड़कर फोटो खिंचाने तक नहीं आए। सामान्यत: ऐसे फोटो कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया करते हैं। आश्चर्यजनक तो यह है कि पूरे प्रचार के दौरान शिवराज सिंह ही प्रत्याशी की तरह वोट की अपील करते रहे, आलोक शर्मा ने तो मतदान की पूर्व संध्या पर भी अपनी अपील जारी नहीं की। 

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