राजेश शुक्ला/अनूपपुर। यहां जमीन पर दरारें पड़ने लगीं हैं। दरारें इतनी बड़ी की पूरे के पूरे जानवर समा जाते हैं, लाशें तक नहीं मिलतीं। इन दरारों से जहरीली गैसे निकल रहीं हैं और प्रशासन इस ओर कोई ध्यान तक नहीं दे रहा है।
मामला है कि जिले की बरगवां पंचायत अंतर्गत ग्राम डोगरिया टोला का जहां सोहागपुर ऐरिया की अमलाई ओल्ड अण्डर ग्राउंड माइंन्स सन् 1966 मे खोल कर अनवरत यहां की धरती का सीना चीर कर एसईसीएल कंपनी द्वारा काला हीरा निकाला गया और जब यहां की धरती से सारा कोयला निकाल लिया गया तब सन् 2004 मे इसे बंद कर दिया गया। खोखली हो चुकी गांव की इस धरती को समतल करने या सही करने की अपेक्षा अब कोल इंडिया इस तरफ मुडकर भी देखना गवांरा नही समङाती जिसके कारण अब इस गांव के रहवासी पलपल मरने की स्थिति मे पहुंच चुके है।
डोगरिया टोला का अधिकांश भाग खोखला होकर गौफ में तब्दील हो चुका है। जिससे निकलने वाली विषैली व जहरीली गैस मानव जीवन के लिये खतरनाक साबित हो रही है। इस गौफ में गांव के मवेशी फंस रहे है। घरों में दरारे पड़ रही है। मानव जीवन संकटापन्न स्थिति में जा पा पहुंचा है।
पुनर्वास भी नहीं किया जा रहा
यहां के ग्रामीण काफी भयभीत अवस्था में जीवन व्यापन कर रहे है। यहां कब क्या हो जायें किसी को नहीं पता। कब मौत का कहर टूट जायें इससे सब अंजान है। कोल कंपनी इन गांव वासियों के पुनर्वास को लेकर भी चिंतित नहीं है। जबकि यहां की खोखली हो चुकी जमीन धधक सी रही है।
कभी भी हो सकता है हादसा
जानकारी के मुताबिक इस जगह कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। धरती सुलग रही है। खोखली धरती के भीतर से निकलने वाली विषैली गैस व बड़े-बड़े दरार इस बात का प्रमाण चीख-चीख कर पेश कर रहें कि यहां पर कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है।
SECL के और भी है कारनामें
ग्राम पंचायत बरगवां प्रदेश की पहली सबसे बड़ी पंचायत है। इस पंचायत के ग्राम डोंगरी डोला सहित एसईसीएल ने जिले में सोहागपुर, हसदेव व जमुना कोतमा क्षेत्र के नाम से कई जगह इसी प्रकार कोयला निकाला और खदान को बंद कर दिया और सभी बंद खदान की धरती में गौफ तैयार हो चुके है। बंद पड़ी खदान अमलाई कॉलरी हसदेव क्षेत्र की बंद कोयला खदान रामनगर, उपक्षेत्र की ङिामर कॉलरी खदान जहां के सभी जगह लोग विषैली धुंए का शिकार हो रहे है और गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहें है।
सुरक्षा के उपाय नदारत
ऐसी दशा मे कॉलरी प्रबंधन सुरक्षा के ऊपाय करने की जगह बगले ङाांक रहा है। जहां बंद पड़ी खदानों से सटे रहवासी पल प्रति-पल भय के साये में जी रहें है। कॉलरी ने काले हीरे निकाल कर उसकी कीमत वसूल ली परंतु लाखों लोगों की जान को यू ही मरने के लिये छोड़ दिया।
सभी बने है मूकदर्शक
इस मामले में ताल ठोंककर कहने वाला कोई नहीं है चाहे वह शासन, प्रशासन हो या क्षेत्रीय विधायक, मजदूर यूनियन हो या श्रमिक नेता सभी मूकदर्शक बने हुये है। ऐसी दशा में इस परेशानी में फंसे लोगों का जीवन दुश्वार हो चुका है।
मौत के कुएं में समा रहें मवेशी
कॉलरी द्वारा धरती का सीना चीरकर कोयला निकाल लिया गया और खोखली धरती को ऐसे ही छोड़ दिये जाने से यहां बड़े-बड़े गौफ तैयार हो गये है। जिसमें इस मौत के कुएं में गांववासियों की मवेशिया समा रही है।
इनका कहना है
मेरी बकरी गौफ में 8 दिन से गिरी हुई है परंतु प्रशासन उसे निकालने की कोई जुगत नहीं बना रही है। पास के ही बस्ती में हम लोग रहते है कभी भी धरती दब सकती है।
बसंती बाई गोड़
स्थानीय महिला
यह मामला स्वास्थ्य के दृष्टि कोण से बहुत हानिकारक है, इसमें विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ.आर.पी.श्रीवास्तव
सीएमएचओ, अनूपपुर
कोल प्रबंधन मनमानी कर रहा है।
असरार अहमद
एचएमएस, नेता
आपके द्वारा बताये गये जगह पर जाकर देखता हॅू उसके बाद प्रबंधन से बात करूगां। अन्याय किसी के साथ नहीं होने दिया जायेगा।
मार्केन्डेय सिंह, सदस्य
जेबीसीसीआर, एंटक