खेल पुरस्कारों का

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अजीब खेल है पुरस्कारों का| किसी को यूँ ही मिल जाते हैं, कोई रो-धोकर मांग लेता है| किसी के लिए नीचे से उपर तक मांग होती है, पर सरकारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती| अपने दौर के दिग्गज ऐथलीट मिल्खा सिंह ने आज कहा कि हॉकी के जादूगर ध्यानचंद देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी होने चाहिए थे। मिल्खा ने पत्रकारों से कहा, 'ध्यानचंद को पहले भारत रत्न मिलना चाहिए था। वे इसके सबसे बडे हकदार थे।' इस मांग को बहुत से लोग नीचे से उपर तक उठा रहे हैं| बैतूल मध्यप्रदेश के बब्लू दुबे तो इस लेकर शांति पूर्ण आन्दोलन छेड़े हुए हैं।

दूसरी ओर पद्म भूषण सम्मान के लिए खुद को नजरअंदाज किए जाने पर बैडमिंटन खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता सायना नेहवाल की नाराजगी के बाद आखिरकार खेल मंत्रालय ने उनका नाम गृह मंत्रालय को भेज दिया है। अब यह विवाद शायद थम जाए। पर इससे एक बार फिर यह सवाल उठा है कि किसी शख्सियत को पद्म आदि सम्मानों के लिए चुने जाने के पैमाने क्या होते हैं!

गौरतलब है कि 2014 के पद्म भूषण सम्मान के लिए खेल मंत्रालय की ओर से कुश्ती में दो बार के ओलंपिक विजेता सुशील कुमार का नाम विशेष मामले के तौर पर गृह मंत्रालय को भेजे जाने के बाद सायना नेहवाल ने निराशा जाहिर की थी। नियमों के मुताबिक दो पद्म भूषण सम्मानों के बीच पांच साल का अंतराल जरूरी है। सायना नेहवाल ने इसी आधार पर अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा कि सुशील कुमार का नाम भेजा जा सकता है तो उनका क्यों नहीं! वे भी पांच साल का अंतराल पूरा कर चुकी हैं।

सायना का नाम पहले न भेजे जाने को लेकर खेल मंत्रालय ने सफाई दी है कि बीएआइ यानी बैडमिंटन एसोशिएशन आॅफ इंडिया ने समय रहते उनके नाम की सिफारिश नहीं भेजी थी। क्रिकेट में उपलब्धियों के लिए जब सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न के लिए चुना गया तो सवाल उठे थे कि आखिर हॉकी की दुनिया में देश को शीर्ष पर पहुंचाने वाले मेजर ध्यानचंद को इसके लिए सुपात्र क्यों नहीं समझा गया।

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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