सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। कान्हा नेशनल पार्क में लाखों पर्यटकों का मनमोह लेने वाले सुंदर बारहसिंगा अब भोपल के वन विहार की शान बढ़ाएगें। शनिवार को कान्हा पार्क से सात बारहसिंगा 3 नर और 4 मादा का विस्थापन करने में सफलता मिल गई है।
सहायक संचालक सिंह के अनुसार 7 जनवरी से बारहसिंगा विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कान्हा पार्क के क्षेत्र संचालक जीएस चैहान ने बताया कि सफल विस्थापन में विशेषज्ञ डाॅक्टरों सहित पूरी टीम का योगदान रहा वन विहार में विशेषज्ञों की टीम पूरी तरह बारहसिंगा पर नजर बनाए हुये है।
जुलाई 2014 के पूर्व से ही बारहसिंगा को वन विहार ले जाने की तैयारी चल रही थी विशेषज्ञों ने बारिश के दौरान ठंडे मौसम में विस्थापन की योजना बनाई, लेकिन बाद में ठंड के मौसम तक के लिए विस्थापन की तारीख को बढ़ा दिया गया था। ठंड शुरू होते ही विस्थापन की तैयारी शुरू हुई कोहरा, धुंध का मौसम समाप्त होने के बाद तैयारी तेज कर दी गई और 10 जनवरी को सुबह बारहसिंगा को विशेषज्ञों की निगरानी में वनविहार पहुंचा दिया गया।
1970 के दशक में श्रीलंका से कान्हा लाया गया हार्डगाउड बारहसिंगा अब पूरी दुनिया में केवल कान्हा राष्टीय पार्क में पाया जाता है। कान्हा में उनकी संख्या 650 हैं। इनके संरक्षण के लिए कान्हा प्रबंधन ने कड़े नियम बना रखे है। रोजाना सुबह आधा दर्जन कर्मचारी उनकी गणना करते हैं। संख्या में कमी आने पर शिकार या अन्य घटना होने के तथ्य एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की जाती है। बीते पांच वर्ष में उनकी संख्या में 150 की वृद्धि हुई है। पार्क में मुख्य रूप से बालाघाट जिले की मुक्की रेंज के घास के मैदान सौंडर में ये विचरण करते हैं मंडला जिले के किसली गेट से आने वाले पर्यटकों को बारहसिंगा देखने के लिए मुक्की गेट तक आना पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार कान्हा पार्क में इस बारहसिंगा के लिए पूरी तरह मौसम अनुकूलित है इसी तरह का मौसम प्राकृति देने की तैयारी वन विहार की गई है, जिससे बारहसिंगा अपने नए घर रहने के लिए जल्द तैयार हो जाए।
गौरतलब है कि कान्हा प्रबंधन ने पूरी प्रक्रिया को गोपनीय तरीके से पूरा किया। इसके पीछे वन्य प्राणियों की सुरक्षा की बात कही जा रही है। चीतल, हिरण की तरह दिखने वाला बारहसिंगा के सिर पर बड़े बडे़ सींग होते है सुंदर और मनमोहक दिखने वाला यह वन्य प्राणी बहुत अधिक शर्मिला होता है। संघन जंगल में घास के मैदान में रहना पंसद करता है। कान्हा राष्टीय उघान में सौंडर क्षेत्र उसके लिए बहुत अधिक अनुकूल है। इस कारण ही श्रीलंका से महज 24 की संख्या में आने वाले बारहसिंगा अब 650 हो गए है।
कान्हा पार्क के सहायक संचालक रजनीश सिंह ने बताया कि कान्हा पार्क से भोपाल वन विहार बारहसिंगा का विस्थापन सफलता पूर्ण हो चुका है। निश्चित ही इस सफलता के बाद आने वाले दिनों में विस्थापन सहित अन्य गतिविधि पर कार्य किया जा सकता है।
विस्थापन में प्रधान भारतीय वन्य संस्थान देहरादून से शुभरंजन सेन,सेटर फार वाइल्ड लाइफ हेल्थ निर्देशन डाॅ.एबी श्रीवास्तव, वन विहार भोपाल से डाॅ. अतुल गुप्ता के निर्देष में कान्हा पार्क के सहायक संचालक रजनीश सिंह, डाॅ.संदीप अग्रवाल मुख्य रूप् से उपस्थित रहे।