फिर प्रधानमंत्री जन-धन में आप लोगों ने किसके खाते खोले हैं?

वासुदेव शर्मा। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के देश भर में 10 करोड़ खाते खुलने एवं उनमें 8,500 करोड़ रूपए जमा किए जाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों के बारे में कुछ दिन पहले यहां के लीड बैंक के मैनेजर से अनौपचारिक बातचीत की। बातचीत की संक्षिप्त जानकारी अपने आॅनलाइन मित्रों के लिए:-

प्रश्न: मनरेगा के श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान कैसे होता था?
उत्तर: बैंक के जरिए, इससे पारदर्शिता आई थी।
प्रश्न: तो सभी श्रमिकों के खाते भी होंगे?
उत्तर: खाते हैं तभी तो भुगतान किए गए।
प्रश्न: बुजुर्गों एवं विधवा महिलाओं को कैसे आर्थिक मदद का भुगतान होता है?
उत्तर: बैंक के जरिए।
प्रश्न: फिर इनके भी बैंक में खाते होंगे?
उत्तर: काफी सालों से इनके खाते चालू स्थिति में हैं।
प्रश्न: बच्चों को छात्रवृत्ति किस तरह दी जाती है।
उत्तर: छात्रवृत्ति का भुगतान भी बैंकों के जरिए होता है।
प्रश्न: फिर तो सभी बच्चों के बैंक में खाते होंगे?
उत्तर: इसमें क्या शक, खाते हैं तभी तो छात्रवृत्ति मिल रही है।
प्रश्न: समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी का भुगतान किसानों को कैसे होता है।
उत्तर: बैंकों के जरिए।
प्रश्न: क्या सभी किसानों के बैंकों में खाते हैं।
उत्तर: हां भाई, किसानों के दो-दो खाते हैं। पहला सहकारी बैंक और दूसरा अन्य।
प्रश्न: सरकार के स्थाई एवं अस्थाई कर्मचारियों के भी खाते होंगे ही।
उत्तरत: जिसे भी सरकार से पैसा मिलता है, उन सभी के खाते खुले हुए हैं।
प्रश्न: आंगनबाड़ी, आशा, ऊषा, स्वास्थ्यकर्मी, संविदाकर्मी, सचिव अध्यापक के।
उत्तर: सभी के बैंकों में खाते हैं, अधिकांश के दो-दो बैंकों में खाते हैं।
प्रश्न: फिर ठेकेदारों, व्यापारियों, नेताओं आदि के भी खाते होंगे ही?
उत्तर: इनके काम बिना बैंक चल ही नहीं सकते, इनके ज्यादातर बैंकों में खाते हैं।
प्रश्न: इसका मतलब अधिकांश लोगों के बैंकों में पहले से खाते हैं।
उत्तर: हां। ज्यादातर लोग बैकिंग कारोबार से जुड़ चुके हैं। मनमोहन सिंह ने यह अच्छा काम किया था, इससे सरकारी भुगतानों, लेन-देन में पारदर्शिता आई थी।
प्रश्न: अंतिम सवाल।
उत्तर: पूछो।
प्रश्न: फिर प्रधानमंत्री जन-धन में आप लोगों ने किसके खाते खोले हैं?
उत्तर: तीन मिनट तक देखते रहे। कुछ देर खामोश रहे, फिर बोले-कन्वर्ट किए हैं।

प्रधानमंत्री जनधन योजना के जो दावे प्रधानमंत्री कर रहे हैं, उनकी वास्तविकता यह है कि पहले से मौजूद खातों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना में कन्वर्ट कर उन्हें कार्ड दिया जा रहा है। रहा सवाल 8,500 करोड़ जमा होने के दावे का तो इन्हीं खातों में इस दौरान मजदूरी, बुजुर्ग, विधवा पेंशन, छात्रवृत्ति शासन की ओर से जमा कराई गई, जिसमें प्रधानमंत्रीजी गरीबों की मोदी के प्रति उदारता के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।

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