भोपाल। लोकायुक्त जस्टिस पी पी नावलेकर ने एक बार फिर शिवराज की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। लोकायुक्त ने सीएम को एक—दो नहीं बल्कि पूरे 135 मामलों की जानकारी भेजी है जिसमें दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई।
इस बार लोकायुक्त ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिए जाने के बावजूद उनके पद पर बने रहने से, जहां प्रतिकूल छवि निर्मित होती है वहीं भ्रष्ट सेवकों के यथावत पद पर बने रहने से साक्ष्य/साक्षियों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अपने पत्र में लोकायुक्त ने भ्रष्ट आचरण वाले अधिकारी/ कर्मचारी के खिलाफ चालान पेश होने की स्थिति में निलंबन के प्रावधान का स्मरण कराया है। जिसका पालन नहीं किया गया।
यह लिखा है पत्र में
पत्र में लिखा है कि कई शासकीय सेवक ऐसे हैं जिनके खिलाफ लोकायुक्त द्वारा चालान पेश किए दो साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन संबंधित को निलंबित किया है अथवा नहीं, इसकी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। चिट्ठी में लिखा है ‘भ्रष्ट’ शासकीय सेवकों के विरुद्ध त्वरित एवं प्रभावी कार्यवाही की शासन की मंशा के प्रति समाज में जहां प्रतिकूल छवि निर्मित होती है वहीं भ्रष्ट सेवकों के यथावत पद पर बने रहने से साक्ष्य/साक्षियों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों के अनुसार खत के साथ लोकायुक्त ने सभी 135 प्रकरणों में आरोपित अफसरों और कर्मचारियों के नाम भी सीएम को भेजे हैं और इन सेवकों को शीघ्र निलंबित करने के संबंध में प्रभावी कार्यवाही करने का मशविरा देते हुए की गई कार्यवाही से अवगत कराने का आग्रह भी किया है।