इंदौर। यहां तो कांग्रेस की हालत बहुत ज्यादा खराब दिखाई दे रही है। कई वार्डों में अच्छा जनाधार एवं प्रबल जीत के दावेदार होने के बाद भी कांग्रेसी नेता अपनी ही कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। तरह तरह के बहाने बनाकर उन्होंने खुद को इस चुनाव से अलग कर लिया है।
नगर निगम चुनाव में इस बार कांग्रेस ने कई वार्डों में ऐसे चेहरों को टिकट दिया है, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और चुनावी मैनेजमेंट के कच्चे खिलाड़ी हैं। कुछ अनुभवी नेताओं ने खुद को चुनाव से दूर रखा। पार्टी इन्हें टिकट देने के लिए तैयार थी, लेकिन बाद में मैदान में नहीं उतारा। बगावत और विरोध के बाद अब कहा जा रहा है कि ये नेता यदि मैदान में होते तो कई वार्डों में कांटे का मुकाबला होता।
इस बार इंदौर कांग्रेस में टिकिट को लेकर ज्यादा मारामारी नहीं रही। सिर्फ 15 वार्डों में ही घमासान की स्थिति थी। वार्ड 42 से पहले प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमन बजाज की पुख्ता दावेदारी थी।
पार्टी ने भी पैनल में उन्हीं का सिंगल नाम रखा था, लेकिन बाद में बजाज ने निजी कारणों का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। वार्ड 43 से भी पूर्व पार्षद विनय बाकलीवाल को पार्टी दमदार उम्मीदवार मान रही थी, लेकिन उन्होंने भी चुनाव नहीं लड़ा। वार्ड 44 से पूर्व पार्षद विपिन खुजनेरी ने खुद को टिकट की दौड़ से दूर रखा। संगठन के कुछ नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने के लिए आग्रह भी किया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
दो नंबर में भी कमजोर टिकट
दो नंबर विधानसभा के कुछ वार्डों में कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में कमजोर प्रतिद्वंद्वी उतारे हैं। कुछ की तो ये स्थिति है कि उन्हें पहचान के संकट से जूझना पड़ रहा है, जबकि इस क्षेत्र से राजेश चौकसे, मोहन सेंगर, राजू चौहान जैसे अनुभवी नेता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन पार्टी ने उन पर भी चुनाव लड़ने के लिए दबाव नहीं बनाया। -नप्र