शाहनवाज मलिक/नई दिल्ली। एम्स में फरेंसिक डिपार्टमेंट के चीफ डॉक्टर सुधीर गुप्ता का कहना है कि जिस जहर से सुनंदा की मौत हुई वो कोई आम जहर नहीं था बल्कि एक विशेष प्रकार का जहर था जिसका उपयोग दुनिया के कई देशों में राजाओं या शासकों को मारने के लिए पूर्व में भी किया गया है।
दुश्मन को मौत की नींद सुलाने के लिए जहर का इस्तेमाल दुनिया के कई शासकों की पसंद रहा है। जैसे इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन ने अपने कई विरोधियों को थैलियम के जहर से चित करवाया। फिलिस्तीन के लोकप्रिय नेता यासिर आराफात की मौत में पोलोनियम जहर का नाम बार-बार आया। इसी तरह सुनंदा पुष्कर की मौत में भी अब बेहद जहरीले केमिकल का कयास लगा रहा है। थैलियम या पोलोनियम जैसे जहर की आशंका सबसे ज्यादा है। इसकी पहचान के लिए विदेशी प्रयोगशाला में रिपोर्ट की जाएगी।
शरीर के किसी भी हिस्से से थैलियम का संपर्क जानलेवा होता है। यह जहर पानी में इस तरह घुल सकता है, ताकि नजर ना आए। ऑस्ट्रेलिया में यह जहर 50 के दशक में खासा लोकप्रिय रहा। 10 साल के भीतर कम से कम पांच ऐसे केस सामने आए जिनकी मौत थैलियम जहर से हुई या मारने की कोशिश की गई। 1957 में रूस की सीक्रेट एजेंसी ने अपने ही जासूस निकोलाई खोखलव को फ्रैंकफर्ट में थैलियम का जहर देकर मारने की कोशिश की, लेकिन वह बच निकले। सुनंदा पुष्कर केस में एम्स के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में इस जहर की तरफ इशारा किया है।
लिस्ट में दूसरा जहर पोलोनियम है। सैंपल में अगर पोलोनियम पाए जाने की पुष्टि होती है तो अभी तक इस जहर से यह संभवतया तीसरी हाईप्रोफाइल मौत मानी जाएगी। इससे पहले 2004 में फिलिस्तीन के लोकप्रिय नेता यासिर अराफात की मौत के बाद इस जहर का नाम उछला था। एक थ्योरी यह है कि इजराइल की सीक्रेट एजेंसी मोसाद के जासूसों ने पोलोनियम जहर देकर उनका मर्डर किया। 27 नवंबर 2012 में उनकी कब्र खोदकर सैंपल लिया गया जिसपर फ्रांस, स्विट्जरलैंड और रूस के एक्सपर्ट्स ने अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की। 12 अक्टूबर 2013 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सैंपल में पोलोनिमय की अत्यधिक मात्रा दर्ज की गई, लेकिन दिसंबर में रूस से आई रिपोर्ट में इस दावे को खारिज कर दिया गया। रूस की सीक्रिट एजेंसी फेडरल सिक्यॉरिटी सर्विस के भगोड़े एजेंट एलेक्जेंडर 2006 में पोलोनियम के जहर से मरने वाले संभवतया पहले शख्स थे।