भोपाल। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को छंठे वेतनमान की राशि देने का प्रस्ताव ठुकराते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों से कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सरकार का पक्ष रखा जाए। इस पर स्कूल शिक्षा विभाग के एक अफसर ने कहा कि यदि इन शिक्षकों को पैसा नहीं दिया तो यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी और हमें जेल जाना पड़ेगा।
दरअसल मंगलवार को कैबिनेट में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को छठे वेतनमान का भुगतान करने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए आया था। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और अशासकीय शिक्षकों की ओर से प्रशांत भूषण ने पैरवी की थी।
कोर्ट के फैसले के अनुसार शिक्षकों को वेतनमान देने पर सरकारी खजाने पर 2500 करोड़ रुपए का खर्चा आना अनुमानित है। कैबिनेट में यह मुद्दा आते ही सीएम ने कहा कि सरकार की ओर से जिस अधिवक्ता ने कोर्ट में पैरवी की उसने सरकार का पक्ष रखा या नहीं, इसकी जांच की जाए।
उन्होंने सरकार की ओर से दोबारा सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की बात कहते हुए प्रकरण को वापस कर दिया। विभाग के अफसरों ने जब सुप्रीम कोर्ट की अवमानना में जेल जाने की बात कही तो मुख्यमंत्री ने कहा कि अफसरों की लापरवाही के कारण ही यह स्थिति बनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 7 जनवरी 2014 को ही कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी थी तो सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट में शासन का पक्ष क्यों नहीं रखा।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2014 को दिए फैसले में अनुदान प्राप्त शालाओं के शिक्षकों को 1 जनवरी 2006 से छठा वेतनमान दिए जाने के आदेश दिए हैं, जिसके पालन में सरकार को एरियर का भुगतान करने में 1545 करोड़ रुपए और आगामी वर्षों में प्रतिवर्ष 436 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ेगा।