जबलपुर। हाईकोर्ट ने जीवन में शोर के दखल पर गंभीर फैसला सुनाया है। इसके तहत अब त्योहारों में सड़कों पर लाउडस्पीकरों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यही नहीं कोर्ट ने अब ट्रैफिक बाधित करने वाले पंडालों पर भी अंकुश लगाने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद प्रशासन भी लाउडस्पीकर और पंडालों की अनुमति नहीं दे सकेगा।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस शांतनु केमकर की डिवीजन बेंच ने समाजसेवी राजेंद्र कुमार वर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिए। इसमें साफ किया गया कि त्योहार या सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर अत्याधिक शोर मचाकर आम जनजीवन को प्रभावित करना अनुचित है।
धारा असंवैधानिक करार
हाईकोर्ट मध्यप्रदेश कोलाहल निवारण अधिनियम-1985 की धारा-13 को असंवैधानिक करार दिया है।
अभी इस धारा के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए लोग डीजे आदि बजाने की अनुमति ले लेते हैं। हाईकोर्ट ने कहा...किसी के मकान या सड़क किनारे लाउडस्पीकर-डीजे आदि के शोर से न केवल मौलिक मानव अधिकार की क्षति होती है बल्कि आसपास रहने वालों को बेहद परेशानी होती है। लिहाजा, अधिनियम की जिस धारा में दिए गए प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए लाउड स्पीकर आदि बजाए जाने की अनुमति हासिल कर ली जाती थी, उसे असंवैधानिक करार दिया जाता है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के साथ ही साल भर चलने वाले त्योहारों और धार्मिक व सामाजिक समारोहों के दौरान उपयोग किए जाने वाले ध्वनि विस्तारकों व दूसरे उपकरणों से फैसले वाले शोर से मुक्त जीवन जीने का आम जनता का सपना साकार हो गया है।
गजेंद्र सिंह
संकाय सदस्य मप्र सिविल जज एसोसिएशन