भोपाल। मप्र में हुए भर्ती घोटाले के खुलासे ने कई दूसरे घोटालों को भी खोलकर रख दिया है। यहां हुई लेखापाल भर्ती में पीजीडीसीए एवं एमसीए की फर्जी डिग्रियां आगरा विवि के नाम की हैं। मजेदार बात तो यह है कि इस घोटाले में आगरा विवि के कर्मचारी भी शामिल हैं, क्योंकि डिग्रियों का सत्यापन भी हुआ है।
मामले की जांच कर रही एसआइटी को आगरा विवि की 10 संदिग्ध डिग्री मिली हैं। ये पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) और मास्टर इन कंप्यूटर साइंस (एमसीए) की डिग्रियां हैं।
एसआइटी ने इन डिग्रियों के सत्यापन के लिए आगरा विवि प्रशासन को सूची भेजी हैं। कंप्यूटर साइंस विभाग से इन्हें वर्ष 2005, 2006, 2009 में जारी किया गया है। डीन मनोज उपाध्याय ने बताया कि 10 डिग्रियों को सत्यापन के लिए भेजा गया है। इनकी जांच कराई जा रही है।
डिग्रियों का हो गया सत्यापन
सूत्रों के मुताबिक, लेखपाल की नौकरी लगने के बाद विवि में डिग्रियों का सत्यापन भी हुआ है। ऐसे में डिग्री फर्जी होने पर विवि के अधिकारी और प्रोफेसर भी फंस जाएंगे। यही नहीं, एसआइटी ने सभी 10 प्रकरण में संदिग्ध कर्मचारियों के संस्थान में प्रवेश, उनकी फीस और परीक्षा का ब्योरा मांगा है।