इंदौर। भगवत गीता ने मेरे जीवन की दिशा बदली। मैं जब 14 साल की थी तो मां ने मुझे भगवत गीता दी। मैंने उसके कुछ पेज यूं ही पढ़े, लेकिन धीर-धीरे मैंने गीता को कई बार पढ़ा। इसके बाद यूक्रेन में आयोजित इंडियन फेस्टिवल में शामिल हुई। यहां कीर्तन और पूजा पद्धति में मेरा मन रम गया। यूक्रेन में मंदिर बनाना और भारत की तरह भजन-कीर्तन करना आसान नहीं है। शोर न हो इसलिए आरती के समय मंदिर के द्वार बंद रखना पड़ते हैं, वरना कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता है।
यह बात डायना से देवरुपादास बनी यूक्रेन से आई महिला संत ने गुरुवार को कही। वे इस्कॉन इंटरनेशनल की स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में निपान्या स्थित इस्कॉन मंदिर में सात दिनी भक्ति योग महोत्सव में शिरकत करने इंदौर आई हैं।
महोत्सव में रूस, ऑस्टेलिया, चीन और अमेरिका सहित पांच देशों के 100 से अधिक संत शामिल होंगे। इनमें 40 महिला संत भी शामिल हैं। स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित महोत्सव की श्रृंखला में पहला आयोजन इस्कॉन इंदौर की मेजबानी में हो रहा है। इस्कॉन मंदिर इंदौर के अध्यक्ष और उत्तर भारत के सचिव स्वामी महामनदास ने बताया कि इस्कॉन की स्थापना 1966 में हुई थी। वर्ष 2015 व 2016 में पूरे विश्व के इस्कॉन मंदिरों में स्वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रम आयोजित होंगे।
ये आयोजन होंगे
17 से 23 जनवरी तक आयोजित भक्ति योग महोत्सव के पहले दिन 17 जनवरी को शाम 5 बजे स्थानीय संगठनों द्वारा बाहर से आए संतों का स्वागत समारोह होगा। 18 जनवरी को मंदिर परिसर में नौका विहार का आयोजन किया जाएगा। 19 को गीता भवन से देशी-विदेशी संतों की कीर्तन यात्रा निकाली जाएगी। 20 को शहर में आयोजित संत विभिन्ना कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। 21 जनवरी को दोपहर 1 बजे अग्रसेन प्रतिमा से अन्नापूर्णा मंदिर तक रथयात्रा निकाली जाएगी।