उपदेश अवस्थी/लावारिस शहर। बिना किसी औपचारिकता के मैं सीधे संबोधित करना चाहता हूं देशभर के उन तमाम मीडिया मुगल्स को जिनके इशारों पर भारत की राजनीति भी नाचती है। विषय है फ्रांस में पत्रिका 'चार्ली हैबदो' के संपादक सहित 9 पत्रकारों की निमर्म हत्या और आग्रह है केवल एक, कृपा करके श्रृद्धांजलि मत दीजिएगा।
यह तो सभी जानते हैं कि 'चार्ली हैबदो' एक व्यंग्य पत्रिका है। इस पत्रिका में पैगंबर मुहम्मद का एक कार्टून छपा था। बस इसी से नाराज होकर आतंकियों ने पत्रिका के आॅफिस पर हमला बोल दिया और जो सामने आया उसकी हत्या कर दी। इस जघन्य हत्याकांड में पत्रिका के संपादक सहित 9 पत्रकारों की मौत हुई है, जबकि 6 पत्रकार घायल हैं। इसके अलावा 2 पुलिसकर्मी और 2 हमलावर भी मारे गए।
मैं इस दिशा में बात नहीं कर रहा कि हमलावर कौन थे, मैं इस दिशा में भी जाना नहीं चाहता कि वो अलकायदा से थे या तालिबान से। मैं तो केवल यह कहना चाहता हूं कि फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद की शान में गुस्ताखी करने वाले को उन्होंने अपने हिसाब से सजा दे दी है और यहां भारत में 'पीके' का विरोध करने वाले लोगों को पता नहीं क्या क्या कहा जा रहा है। एक अदद लोकतांत्रिक विरोध भी नहीं करने दे रहे। विरोधियों को कट्टरवादी और खुद को धर्म निरपेक्ष बताया जा रहा है।
मैं कट्टरवाद का समर्थन नहीं कर रहा हूं, मैं तो केवल यह कहना चाहता हूं कि धर्म की रक्षा के लिए दुनिया में 2 मापदंड नहीं हो सकते। धर्म को देशों की सीमाओं में भी नहीं बांधा जा सकता और धर्म को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। इसलिए हे प्रिय धर्मधुरंधरो, हे देश को दिशा देने वाले विद्वानों इस मामले में केवल शिकार हुए पत्रकारों को श्रृद्धांजलि देकर चुप मत बैठ जाइगा, 2 मिनट मौन रहकर कृपया विचार कीजिएगा कि क्या दुनिया भर के तमाम धर्मों की रक्षा करने का कोई तरीका निकाला जा सकता है। क्या कोई गुंजाइश बनाई जा सकती है कि ना कोई राम का अपमान कर सके और ना ही रहीम का। यदि इस दिशा में काम शुरू किया गया तो वो लक्ष्य हर हाल में प्राप्त हो जाएगा जो इस धरती पर जन्मे इंसानों के लिए यहां भगवान श्रीकृष्ण ने तय किया है और वहां मोहम्मद पैगम्बर ने।