भोपाल। आज जिस खुलेखत को हम प्रकाशित करने जा रहे हैं वो किसी कर्मचारी संगठन या प्रोफेशनल की ओर से नहीं बल्कि एक हाउसवाइफ पूर्णिमा श्रीवास्तव की ओर से है। समस्या बहुत छोटी सी है, उसके दरवाजे पर आसपास के 2 घरों का पानी जमा हो जाता है। इसकी शिकायत नगरपालिका के लेकर सीएम हेल्पलाइन तक की जा चुकी है, लेकिन समाधान आज तक नहीं हुआ। पूर्णिमा समझ नहीं पा रहीं हैं कि अब वो क्या करें, इत्ती सी समस्या के समाधान के लिए किसके दरवाजे खटखटाएं।
आप भी पढ़िए यह खुलाखत जो पीड़िता ने भोपाल समाचार को प्रेषित किया:—
प्रति,
सम्पादक
भोपाल समाचार
महोदय,
मुख्य नगर पालिका अधिकारी विदिशा एवं उनके मातहत सब इंजीनियर को बार बार पानी भराव की समस्या से अवगत कराने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दो घरों की पानी निकासी ठीक नही होने के कारण विगत दो वर्ष से नाली का पानी इकट्ठा हो रहा है बदबू एवं मच्छरों से लोग परेशान है। मेरे घर के बगल में होने से सबसे अधिक परेशानी हमको ही होती है। नगर पालिका विदिशा से 21.8.2014, 1.9.14, 2.10.14 को प्रार्थना पत्र देकर निवेदन किया लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई। कलेक्टर विदिशा के यहां जनसुनवाई में 9.9.14 को (जनसुनवाई क्रमांक 165 ) आवेदन दिया फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। मुख्यमंत्री हेल्प लाइन 181 में 5.9.2014 को शिकायत को पंजीयन किया गया जिसका नम्बर 192361/5.9.2014 है। वहां भी एल 1, एल2, एल3, एल 4 तक शिकायत उपरांत भी कोई कार्यवाही नही हो पाई है। इसके बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया उस पर भी कोई कार्यवाही नही की गई है। मुख्य मंत्री जी को लिखे पत्र में निराकरण का उपाय भी सुझाया गया कि मात्र 3-4 घंटे में समस्या का निराकरण हो जायेगा किंतु कुछ नहीं हो सका है।
जन शिकायत निवारण विभाग के अवर सचिव का पत्र पीजी/560846/2014/एन ए दिनांक 4.10.2014 प्राप्त हुआ कि समस्या के निराकरण हेतु पत्र लिखा गया है। किंतु आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
उच्च अधिकारियों के निर्देषों की अवहेलना, सीएम हेल्प लाइन को अंगूठा दिखाने जैसा कृत्य करने पर क्या विदिशा नगर पालिका के जिम्मेवार अधिकारियों पर अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जायेगी ? आखिर मुख्यमंत्री के क्षेत्र में उन्ही के निर्देर्शों की अवहेलना किस तरह का संकेत है।
कृपा करके अपने समाचार में स्थान दे कर समस्या से एक बार पुनः शासन के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कृपा करें।
पूर्णिमा श्रीवास्तव,विदिशा
लव्वोलुआब सिर्फ यह कि यदि आम नागरिकों की छोटी छोटी समस्याओं पर भी ध्यान नहीं दिया जाएगा तो शिवराज के सुशासन पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वभाविक ही है। पूर्णिमा श्रीवास्तव जैसी महिलाओं और नागरिकों की मध्यप्रदेश में कोई कमी नहीं है। हर गली में एक ना एक पीड़ित मिल ही जाएगा। ये लोग संगठित नहीं हैं, इनकी कोई यूनियन नहीं है, इनकी कोई जाति या सम्प्रदाय भी नहीं है, लेकिन ये एक बड़ा वोटबैंक हैं जो किसी योजना से बरगलाया नहीं जा सकेगा। इन्हे शासन सिर्फ वो सामान्य सुविधाएं चाहिए, जिनका एक नागरिक होने के नाते ये अधिकार रखते हैं। यदि कमीशनखोरी में डूबे नगरपालिकाओं के सीएमओ इन समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देंगे तो इसका खामियाजा निश्चित रूप से भाजपा की सरकार को ही भुगतना होगा।