भोपाल। ये है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का 'सुल्तानिया जनाना अस्पताल' अर्थात राजधानी का एकमात्र महिला अस्पताल जहां सबसे ज्यादा प्रसव मामले आते हैं। इसके पलंगों की हालत क्या है आप देख ही रहे हैं, और इन्हीं संक्रमित और जंग लगे पलंगों पर पैदा हो रहा है भोपाल का भविष्य।
सुल्तानिया जनाना अस्पताल में दस साल पुराने जर्जर पलंग हैं। इन पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यहां 235 पलंगों में से 40 के पहिए टूट चुके हैं। बीते पांच साल में खराब हुए 100 पलंगों को ही बदला जा सका है। नए पलंगों की खरीदी गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन नहीं कर रहा है। यह खुलासा रविवार देर रात पलंग टूटने से प्रसूता की मौत मामले में हुआ है।
यहां की पोस्ट ऑपरेटिव यूनिट और जनरल वार्ड में मरीजों के लिए जर्जर पलंग हैं। इनके पहिए टूटकर मुड़ गए हैं या निकल गए हैं। इसकी वजह वार्डों में मौजूद पलंगों और पेशेंट टेबल का ठीक से रखरखाव और मरम्मत न होना है।
यहां रविवार रात की तरह किसी भी दिन प्रसूता का पलंग टूटने की घटना दोबारा होने की आशंका है। बीते साल भी आबिदा वार्ड में भर्ती एक मरीज का पलंग टूट गया था। इससे पहले अस्पताल के नए आईसीयू, पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड, माइनर ऑपरेशन थिएटर और प्राइवेट वार्ड में नए पलंग रखवाए गए थे।
200 पर 250 प्रसूताएं
अस्पताल के जनरल वार्डों में 200 पलंग हैं। यहां 250 प्रसूताएं भर्ती हंै। पलंग की कमी से आबिदा वार्ड में प्रत्येक पलंग पर एक के स्थान पर दो-दो प्रसूताएं और उनके नवजात हंै। इसकी वजह यहां भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा होना है।
इंदिरा गांधी अस्पताल का एक फ्लोर मिले
इंदिरा गांधी गैस राहत अस्पताल का एक भाग सुल्तानिया अस्पताल को देने की व्यवस्था राज्य सरकार को करना चाहिए। इससे सुल्तानिया अस्पताल में पलंगों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं, गैस राहत अस्पताल में इलाज कराने वाली महिलाओं को भी सुल्तानिया जनाना अस्पताल के डॉक्टरों से इलाज मिल सकेगा। इसे उसी तरह से लागू करें जैसे हमीदिया के शिशु रोग विभाग का संचालन कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल में होता है।
- डॉ. डीके वर्मा, रिटायर सुपरिटेंडेंट, हमीदिया अस्पताल