CID बेहतर या EOW: हाईकोर्ट ने मप्र शासन से पूछा

जबलपुर। तीन जिलों के बैगा आदिवासियों की आरोपित दुर्दशा से संबंधित मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपे जाने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जांच के लिए सीआईडी बेहतर है या आर्थिक अपराध शाखा? चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीवी सिरपुरकर की युगलपीठ ने इस बारे में सरकार को 20 जनवरी तक जवाब पेश करने कहा है। साथ ही मामले में 6 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई नई एफआईआर की एक प्रति याचिकाकर्ता के वकील को देने के निर्देश भी युगलपीठ ने दिए हैं।

यह याचिका बालाघाट के पूर्व विधायक किशोर समरीते की ओर से दायर की गई है। आवेदक का आरोप है कि बालाघाट, मण्डला और डिण्डोरी जिले में रहने वाले बैगा आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर है। उन्हें न तो मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं, न पीने का पानी और न ही इलाज की सुविधाएं। इसके चलते इन आदिवासियों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो रही है। विगत 29 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को कहा था कि इस मुद्दे पर सरकार का अगला कदम क्या होगा, इसका विस्तार से जवाब दिया जाए।

मामले पर सोमवार को आगे हुई सुनवाई के  दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा मेनन, अधिवक्ता राहुल चौबे और राज्य सरकार की ओर से उपशासकीय अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली हाजिर हुए। श्री गांगुली ने युगलपीठ को बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून, अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम और भादंवि की धारा 120बी सहित विभिन्न धाराओं में दोषियों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज हुई है।

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