भोपाल। यहां एक बड़े प्रमोशन स्कैम का खुलासा हुआ है। अब तक की जांच के अनुसार शिक्षा विभाग में ऐसे 78 यूडीटी को प्रमोशन दे दिया गया जो इसके लिए अगले 2 साल तक पात्र नहीं होने वाले थे। खुलासे के बाद झल्लाए डीईओ तर्क दे रहे हैं कि उनसे पहले भी नियमों का उल्लंघन हुआ है अत: उसी को आधार मानकर उन्होंने भी कर दिया। जांच अभी जारी है।
सरकार के गजट नोटिफिकेशन में स्पष्ट उल्लेख है कि यूडीटी के पद पर रहते हुए तीन वर्ष का समय पूरा होने के बाद ही पदोन्नति दी जाए। जबकि शिवपुरी में 78 ऐसे लोगों को प्रमोशन दे दिया गया जिन्होंने यूडीटी का एक साल ही पूरा कर पाया था।
पढ़िए DEO का बेतुका तर्क
डीईओ बीएल देशलहरा का तर्क है कि 2007 में भी ऐसी सूचियां भोपाल से जारी हुईं थीं। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसी तरह से प्रमोशन किए हैं। श्री देशलहरा ने भोपाल समाचार से बात करते कहा कि हमें नहीं मालूम कि नियम क्या है, परंतु जब पूर्व में भी ऐसे प्रमोशन हुए हैं तो अब इसमें क्या आपत्ति हो सकती है।
कुल मिलाकर तात्पर्य यह था कि जब वरिष्ठ अधिकारी भी इसी तरह की गलतियां कर चुके हैं तो उन्होंने भी कर दी, इसमें बुराई क्या है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपके पास ऐसा कोई नियम या निर्देश की छायाप्रति मौजूद है जो आपको इसकी इजाजत देती हो तो देशलहरा अनबना गए।
सवाल यह है कि एक विभागाध्यक्ष स्तर का अधिकारी यह कैसे कह सकता है कि पूर्व में भी नियमों का उल्लंघन हुआ है इसलिए मैने भी कर दिया ?
हम तो DR देखते हैं, डीईओ जिम्मेदार हैं
'मैं हर कमेटी में सदस्य रहता हूं। जहां तक प्रमोशन सूची वाले मामले की बात है तो हम यूडीटी की सीआर देखते हैं, बाकी रिकार्ड तो डीईओ कार्यालय से उपलब्ध कराया जाता है। उस समय जो नियम रहे, उनका पालन किया गया, अब दो साल पहले की बात याद भी नहीं है। लेकिन जो हुआ वो डीईओ ऑफिस के स्थापना विभाग से ही किया गया।
अशोक श्रीवास्तव, डीपीसी सदस्य
पहली बैठक में 78 अपात्र के नाम सामने आए
जांच कमेटी की पहली बैठक अभी हाल ही में हो गई। जिसमें 78 ऐसे यूडीटी के नाम सामने गएए जिन्हें महज 8 माह से लेकर 2 वर्ष 8 माह की समयावधि में ही प्रमोशन दे दिया गयाए जबकि नियमानुसार 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा होना चाहिए। जल्द ही दूसरी बठक करके जांच रिपोर्ट फायनल बनाकर संभागायुक्त को भेज दी जाएगी।
शिरोमणि दुबे, जांच कमेटी सदस्य
तो क्या पूरे प्रदेश में हुए हैं ऐसे प्रमोशन
भोपाल समाचार से बातचीत के दौरान डीईओ देशलहरा ने 2005 से लेकर अब तक हुए कई सारे प्रमोशन के मामले गिनाए। उन्होंने बताया कि सभी में समयपूर्व प्रमोशन दिए गए हैं। वो बार बार दोहरा रहे थे कि पूर्व में भी हुए हैं, वरिष्ठ अधिकारियों ने भी किए हैं और हमने भी उसी आधार पर किए।
अब सवाल यह है कि क्या पूरे प्रदेश में इसी तरह के नियम विरुद्ध प्रमोशन हुए हैं और क्या यह खेल पिछले 10 साल से लगातार जारी है। डीईओ ने बताया कि डीपीआई से भी इसी तरह की लिस्ट जारी हुईं हैं, तो क्या डीपीआई स्तर पर भी प्रमोशन घोटाला हुआ है।
यह एक बड़ा मामला है एवं इसकी स्वतंत्र ऐजेन्सी से जांच कराई जानी चाहिए।
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