भोपाल। राज्य सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा विभागों में संविदा, पार्ट टाइम जॉब, मानदेय और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे तीन लाख से अधिक कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड (पीएफ) नहीं काटने वाले विभाग के मुखिया की सैलरी अब अटैच करने की तैयारी है।
खासकर इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों के वेतन से कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड की राशि काटे जाने का निर्णय दो-तीन दिन में कमिश्नर भविष्य निधि कार्यालय द्वारा लिए जाने की संभावना है। इस मामले में पहले इन अफसरों को नोटिस दिए जाएंगे। यदि इस पर भी उन्होंने कर्मियों का पीएफ नहीं काटा तो फिर उनके वेतन से इसकी वसूली की जाएगी।
केंद्र सरकार के श्रम नियमों के तहत किसी भी सरकारी तथा गैर सरकारी संस्था में पार्ट टाइम अथवा फुल टाइम नौकरी करने वाले कर्मचारी का प्रोविडेंट फंड काटा जाना अनिवार्य है और इस पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने भोपाल में भविष्य निधि कमिश्नर कार्यालय भी खोला है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग में पहले संविदा शाला शिक्षक और बाद में प्राध्यापक के रूप में शिक्षकों को नौकरी पर रखा गया हैं, लेकिन वर्षों बाद भी इनका पीएफ फंड नहीं काटा जाता। ऐसे ही महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन करने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिकाओं को भी रखा गया है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग में ऐसे ढाई लाख से अधिक संविदा शाला शिक्षक, प्राध्यापक, गुरूजी, प्रौढ़ शिक्षा अध्यापक रखे गए हैं। वैसे ही स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम के तहत परियोजना अधिकारी, संविदा कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, एनएम की नियुक्ति कर रखी है।
आयुष विभाग में भी एनआरएचएम के तहत 50 हजार कर्मियों को रखा गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास से पंचायत स्तर पर 50 हजार मेट तथा 20 हजार संविदा कर्मियों को काम सौंप रखा हैं, वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए लगभग 76 हजार कर्मचारियों को काम पर मानदेय के रूप में लगाया है, परंतु इन विभागों द्वारा कर्मचारियों का वर्षों से प्रोविडेंट फंड नहीं काटा गया है। इस मामले में श्रम मंत्री अंतरसिंह आर्य ने फाइल पर अपनी सहमति दे दी है।