नई दिल्ली। शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती 18 जनवरी को धर्म संसद करने जा रहे हैं। आईबीएन7 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वो माघ मेले में होने वाली धर्म संसद में कई मुद्दे प्रमुखता से उठाएंगे। जिनमें धर्मांतरण, साईं बाबा, ‘पीके’ और गोवध जैसे मुद्दे शामिल हैं।
वीएचपी के घर वापसी कार्यक्रम पर भी शंकराचार्य ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ‘घर वापसी’ का कोई अर्थ नहीं है। इसके अलावा धर्मांतरण कराने वाले हिंदू संगठनों पर सवाल उठाते हुए स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि पहले वो खुद हिंदू बने। उनका मानना है कि धर्मांतरण गलत है। कोई खुद से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो करे, लेकिन धर्मांतरण जैसी कोई चीज नहीं है। उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि ईसाई मिशनरियों को तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं। जबकि हिंदू संतों के पर काटे जा रहे हैं।
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि फिल्म ‘पीके’ में गरीब को रोटी देने के बजाय गाय को देना मजाक का विषय है। लेकिन असल में सबसे बड़ी गरीब तो गाय है। उन्होंने कहा कि फिल्म में भगवान शंकर को गलत तरीके से दर्शाया गया है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का मानना है कि सेंसर बोर्ड को ऐसी फिल्मों को सर्टिफिकेट नहीं देना चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि आखिर ये फिल्म वाले हिंदू देवी-देवताओं को मनोरंजन का पात्र ही क्यों बनाते हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि करोड़ों लोगों की आस्था को मनोरंजन का पात्र नहीं बनाना चाहिए। अन्य धर्मों जैसे मुस्लिम, ईसाई पर फिल्म क्यों नहीं बनाई जाती क्योंकि फिल्म बनाने वालों की अन्य धर्मों पर फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं है। दरअसल, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी, हंसी से लोटपोट करती आमिर की इस फिल्म में भगवान शंकर के भेष में एक बहरूपिए को दिखाया गया है। यही बात शंकराचार्य के गले नहीं उतर रही। लिहाजा उन्होंने फिल्म पर आपत्ति जताई है।