भोपाल। मप्र में तमाम पद रिक्त हैं। सरकारी दफ्तरों में भी और सरकार में भी। सरकार के सुलभ संचालन के लिए 34 मंत्री बनाए जाने चाहिए परंतु सीएम शिवराज सिंह चौहान ने केवल 24 ही बनाए। शेष पद एक प्रकार से रिक्त हैं। दूसरे विभागों के मंत्रियों को प्रभार सौंप रखा है और बताना जरूरी नहीं कि एक मंत्री केवल एक ही विभाग में मस्त हो सकता है।
जी हां, एक व्यक्ति एक ही विभाग को संभाल सकता है। इससे ज्यादा हों तो वो खिसिया जाता है। जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने इसे प्रमाणित कर दिया है। शिवराज सिंह ने उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें 4 विभागों का जिम्मा सौंप दिया परंतु वो वित्त विभाग के अलावा कुछ और देखने के मूड में ही नहीं हैं अत: शेष विभाग आला अधिकारियों के भरोसे चल रहे हैं।
जल संसाधन विभाग से संबंधित एक सवाल के जवाब में मंत्री मलैया ने खिसियाते हुए यह स्पष्ट भी कर दिया कि वो इतने सारे विभाग नहीं देख रहे हैं, उन्हें विभागों की जानकारी भी नहीं है कि कहां क्या हो रहा है। वो बस वित्त विभाग में ही व्यस्त हैं।
सवाल यह उठता है कि जब मप्र में मंत्रियों के 10 पद खाली हैं तो उन्हें जबरन दूसरों को क्यों सौंप रखा है। एक मंत्री एक विभाग का फार्मूला क्यों यूज नहीं किया जा रहा। जब 34 मंत्री बनाए जा सकते हैं तो बनाए क्यों नहीं जा रहे। क्यों मंत्रियों पर बोझ और पब्लिक की परेशानियां बढ़ाई जा रहीं हैं।