नई दिल्ली। हाल ही में यह बात सुनने में आ रही है कि क्लीन एनर्जी सेक्टर में आने वाले 10 सालों में करीब 10 लाख से ज्यादा नौकरियों की सौगात मिलने वाली है। क्लाइमेट चेंज पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए सरकार भी ऊर्जा के ऐसे स्रोत को अधिक से अधिक अपनाने के लिए कमर कस रही है, जो ना तो तापमान बढ़ाते हो और ना ही प्रदूषण फ़ैलाने एक काम करते हो। इस साल पैरिस में क्लाइमेट चेंज पर होने वाले सम्मेलन में इस संबंध में संधि होने के पूरे आसार हैं कि तापमान और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, पावर प्लांट्स और अन्य क्षेत्रों में मौजूदा टेक्नॉलजी का प्रभावी विकल्प इस्तेमाल में लाया जाए।
भारत में भी इस मामले को ध्यान में रखा जा रहा है और क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कमर कासी जा रही है। साथ ही यह बात भी स्पष्ट कर दे की यहाँ तक पहुँचने के लिए अगले सात सालों में सोलर एनर्जी से एक लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही विंड पावर से भी अगले 10 सालों में एक लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने का इरादा रखता है। भारत की क्षमता विंड पावर से कम से कम तीन लाख मेगावॉट बिजली हासिल करने की है। इस मकसद से फिलहाल कम से कम दो अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।