भोपाल। माना जा रहा था कि व्यापमं घोटाले के संदर्भ में सोमवार को कोई बड़ी खबर आएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ। हां, इतना जरूर है कि मप्र हाईकोर्ट ने इस मामले में एसटीएफ को समयबद्ध कर दिया है। अगली सुनवाई 4 मार्च को है और इस दिन एसटीएफ को अपनी मिनिट बुक भी पेश करनी होगी कि आखिर उसने 23 फरवरी से 4 मार्च के बीच क्या क्या किया। माना जा रहा है कि जिन 17 VVIP के नाम बंद लिफाफे में थे, उनमें से 11 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।
व्यापमं घोटाले में एसटीएफ ने कोर्ट को बंद लिफ़ाफ़े में 17 लोगों के नाम सौंपे हैं लेकिन, पहली कड़ी में 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक़ इसकी तैयारी कर ली गई है और फंड कलेक्शन किस तरह से किया जाता था, इसकी डिटेलिंग करने के बाद इनके खिलाफ जुर्म रजिस्टर किया जाएगा। गौरतलब है कि राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश का नाम भी इस घोटाले में शामिल है। संभावना है कि पहले क्रम में ही उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया जाए। हालांकि, अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है कि ये 11 लोग कौन होंगे, लेकिन घोटाले में शामिल अतिविशिष्ट लोगों पर कार्रवाई की बात से वीवीआईपी शख्यिसत में हलचल मच गई है।
जानकारी दुरुस्त कर रहे हैं
सूत्रों की माने तो एसटीएफ एडीजी सुधीर कुमार शाही इस बात की लिस्टिंग करवा रहे हैं कि किस तरह से फंड कलेक्शन किया जाता था और सबसे पहले किस मामले को लेकर फंड कलेक्शन किया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि केस को सही तरीके से कोर्ट में पेश किया जा सके। व्यावसायिक परीक्षा मंडल का घोटाला 2012 की प्री मेडीकल टेस्ट की पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षा से सामने आया। इस परीक्षा में बैठने वाले छात्रों से 6 महीनेे पहले पैसे जमा कर लिए गए थे। एसटीएफ की पूछताछ में कुछ आराेपियों के बयान हैं, जिसमें कहा गया है कि 2012 की पीएमटी पीजी में पास होने के लिए पैसे दिए गए थे।
करीब 17 भर्तियाें से जुड़े हैं घोटाले के तार
व्यापमं मध्य प्रदेश में इंजीनियरिंग-मेडिकल के कोर्स और अलग-अलग सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करने वाली संस्था है। पिछले 10 सालों में व्यापमं ने पीएमटी से लेकर पुलिस आरक्षक, उपनिरीक्षक, परिवहन निरीक्षक, संविदा शिक्षक भर्ती सहित कई परीक्षाएं आयोजित की। इन परीक्षाओं में गड़बड़ी पर 17 एफआईआर हुई हैं। 10 सालों में आयोजित 100 से अधिक परीक्षाओं के जरिए बड़ी तादाद में अयोग्य लोगों को नौकरियां या डिग्रियां दिलवाई गईं।
राजनेता, नौकरशाह और दलाल का अपवित्र गठबंधन
साल 2004 से इसकी शुरुआत हुई। इस गोरखधंधे में कई राजनेता, नौकरशाह, दलाल, छात्र और शिक्षण संस्थान के बड़े अधिकारियों का बड़ा नेटवर्क शामिल था। यहां तक कि फर्जी नियुक्तियां करवाने के लिए कई सरकारी नियमों को ढीला किया गया। कई नियम बदल दिए गए तो कइयों को हटा ही दिया गया।
इंदौर के छापे से हुई शुरूआत
इस घोटाले का पर्दाफाश साल 2013 में तब हुआ था, जब इंदौर क्राइम ब्रांच, पीएमटी में फर्जी तरीके से छात्रों को पास करवाने वाले एक रैकेट तक पहुंची। जुलाई, 2013 में इंदौर में कुछ छात्र फर्जी नाम पर पीएमटी की प्रवेश परीक्षा देते गिरफ्तार किए गए थे। पूछताछ में पता चला कि यह नेटवर्क डॉ जगदीश सागर चला रहा है। जगदीश के यहां पुलिस ने दबिश दी, तो उसके घर पर छापेमारी में भारी मात्रा में नकदी, सोना और अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।
ये थी पहली FIR
पीएमटी परीक्षा 2012 में अपराध क्रमांक 12/13 धारा 420,467,468,471, 120 बी आईपीसी , 65,66 आईटी एक्ट की धारा, धारा 3 घ 1, 2/4 मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत दर्ज किया गया। इसके बाद पीएमटी परीक्षा 2013 में एफआईआर दर्ज की गई। दोनों एफआईआर में 104 स्टूडेंट को एसटीएफ ने पकड़ा था।