लखनऊ। अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए 17 साल के एक लड़के ने कुख्यात डॉन विक्की त्यागी को मुजफ्फरनगर कोर्ट के अंदर गोलियों से भून डाला। यह वारदात उस समय हुई जब डॉन पेशी पर आया था और उसके साथ करीब एक दर्जन पुलिसवाले मौजूद थे।
जज के कमरे में मारी 14 गोलियां
पुलिस के मुताबिक कुख्यात विक्की त्यागी अगस्त 2007 से जेल में बंद चल रहा था। जेल में रह कर भी वह लगातार अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा था। सोमवार को मुजफ्फरनगर के कोर्ट में उसकी तीन पेशियां थी। घटना के समय विक्की एडीजे-10 की कोर्ट के कटघरे में खड़ा था। कोर्ट में दोपहर करीब तीन बजे काले रंग की पगड़ी बांधे वकीलों की वेशभूषा में आए शामली जिले के बावड़ी के एक किशोर ने विक्की पर निशाना साधकर फायरिंग शुरू कर दी।
एसएसपी मुजफ्फरनगर कृष्ण बहादुर सिंह ने बताया कि आरोपित ने थर्टी बोर की पिस्टल से कोर्ट में कुल 14 राउंड फायर किया। घटना के समय विक्की को जेल से पेशी पर लाने वाले 10 कांस्टेबल और एक सब इंस्पेक्टर कमरे के बाहर ही खड़े थे। गोली चलते ही कोर्ट में भगदड़ मच गई। आनन-फानन में पुलिस विक्की को लेकर अस्पताल गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
54 अपराधिक मामले दर्ज थे विक्की त्यागी पर
1994 से 2015 तक 21 साल से लगातार विक्की त्यागी अपराध की दुनिया में खौफ के दूसरे नाम के रूप में जाना जाता था। 20 अगस्त 2007 से विक्की त्यागी जेल में बंद था, विक्की त्यागी ने हाल ही में जेल में रहकर जेल के सिपाही चुन्नी लाल की हत्या थी, इसके आलावा पुलिस वैन पर भी हमला कराया था।
12 साल बाद लिया बदला
विक्की त्यागी की हत्या के आरोपित को जब पुलिस थाने लेकर पहुंची तो वह थाने में हंसता रहा। आरोपित ने बताया कि जब वह 5 साल का था उस समय उसके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
फाइल में रखी थी पिस्टल
हत्यारोपित वकील की वेशभूषा और सर पर पगड़ी पहन कर कोर्ट में हत्या करने पंहुचा था जहां उसने विक्की त्यागी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। उसने अपने हाथ में एक फाइल के भीतर पिस्टल छिपा रखी थी।
आरोपित पर पहले भी दर्ज हो चुके हैं मुकदमे
विक्की की हत्या में आरोपित किशोर पर हत्या का पहला आरोप उस समय लगा जब उसकी उम्र मात्र 15 वर्ष की थी। 17 वर्ष के इस युवक पर आरोप है कि उसने अपने चाचा की हत्या का बदला लेने के लिए 11 जुलाई 2013 को कोर्ट परिसर में ही गांव के प्रधान विजेन्द्र मलिक की भी हत्या कर दी थी। प्रधान की हत्या के बाद उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। प्रधान की हत्या के आरोप में जब उसे बाल संरक्षण गृह में भेजा गया, तो वहां से मार्च 2014 में वह फरार हो गया था।