कानपुर। आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक समय निकालें और गांव-गली तक संघ की शाखाओं का विस्तार करें। समाज की संघ से अपेक्षा है कि उसका दायरा बढ़े। रोज एक घंटा संघ को दिया जाए। एकत्रीकरण शिविरों पर उंगली उठाने वालों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे शक्ति प्रदर्शन कहते हैं, लेकिन संघ को इसकी जरूरत नहीं है। संघ हमेशा अपनी शक्ति के सहारे ही आगे बढ़ा है।
निराला नगर के रेलवे ग्राउंड में करीब 8-10 हजार स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि एकत्रीकरण शिविरों को लगाने का सीधा मकसद अनुशासन की आदत बनाए रखना है। संघ लड़ाई नहीं सिखाता है। हिम्मत, ताकत और दम से हम जागृत होते हैं। अपने भाग्य के सहारे की हम देश का भाग्य बनाते हैं। अगर भारत का इतिहास देखा जाए तो हम धनवान और बलवान भी थे, लेकिन हजारों मील दूर से आकर लोगों ने हमें गुलाम बनाया। जबकि उन्हें यहां के बारे में कुछ भी नहीं पता था।
संविधान सभा के आखिरी अधिवेशन में डॉ अंबेडकर ने जिक्र किया था कि हमारा देश अपने स्वार्थों और दुर्गुणों के कारण ही गुलाम हुआ। हमने चांदी की तश्तरी में देश उन्हें सौंपा। संघ सिर्फ इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि अब हम भविष्य में दोबारा गुलाम न हों। गुलाम होने के पहले समाज में जो अलगाव था, वह दोबारा नहीं होना चाहिए। सिर्फ संविधान हमारी रक्षा नहीं करेगा। भारत का मूल चरित्र बेहद साफ है। हम साफ आचरण का सम्मान करते हैं। इस देश में जो भी विविधताओं का सम्मान करता है, जो सभी से नाता जोड़ता है, वो हिंदू है। हमें मिलकर रहने की आदत बनानी होगी। यह बातें हमारी हिंदू संस्कृति सिखाती है।
पूछते रहे स्कोर
संघ के कैंप पर भी इंडिया-पाकिस्तान मैच का असर दिखा। 20 हजार स्वयंसेवकों के आने का दावा तो किया गया था, लेकिन दोपहर 1:30 बजे तक रेलवे ग्राउंड खाली पड़ा था। दोपहर 2 बजे से काफी तादाद में लोग आए। भाषण के बीच भी स्कोर पूछने का सिलसिला चलता रहा।