मंदसौर। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शिक्षकों की राह देख रहे हैं और इधर शिक्षक शहरी क्षेत्रों या उससे आसपास के स्कूलों में जमे हुए हैं। जिले के सभी शहरी क्षेत्रों व उसके आसपास सटे ग्रामीण क्षेत्रों के प्रावि व मावि शिक्षकों से भरे हुए हैं। यहां शासन का तय मापदंड भी कोई काम नहीं करता है। राजनीतिक दबाव व प्रशासनिक पकड़ के चलते शिक्षक इन्हीं जगह जमे हुए हैं। कई जगह तो स्थिति यह है कि बच्चों से ज्यादा शिक्षक हैं।
ऐसे लगभग 250 सरकारी स्कूल चिन्हित किए गए हैं जिनमें छात्र संख्या की अनुपात से ज्यादा शिक्षक हैं। तीन माह पहले ही शिक्षा विभाग ने अतिशेष शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए आदेश दिए थे। इसके बाद भी अभी तक राजनीतिक दबाव के चलते अतिशेष शिक्षक इधर-उधर नहीं हुए हैं। अब यह लग रहा है कि इस सत्र में खाली पड़े स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति नहीं होगी।
तीन माह बाद इधर से उधर नहीं
स्कूलों में युक्तियुक्तकरण के तहत 300 से अधिक अतिशेष शिक्षकों को इधर से उधर करने की कार्रवाई समय सीमा गुजरने के तीन माह बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। सिर्फ 250 स्कूलों की सूची बनाकर शिक्षा विभाग ने अपने पास रख ली। सूची मंगाने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं की गई। अब पंचायत चुनाव और उसके बाद परीक्षाओं के कारण इस सत्र में आदेश का पालन नहीं होने की संभावना बन रही है। हालांकि इस संबंध में 8 सितंबर 14 को ही शासन द्वारा आदेश पारित कर दिए गए थे। कलेक्टर और जिला शिक्षाधिकारी को निर्देशित किया गया था कि 30 अक्टूबर तक जिले के सभी स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।
कम से कम तीन शिक्षक
समय सीमा में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक मावि में न्यूनतम तीन शिक्षकों में से एक गणित और विज्ञान, एक सामाजिक विज्ञान और एक अंग्रेजी विषय का शिक्षक उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना था। छात्र संख्या अधिक होने पर छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर चौथा शिक्षक संस्कृत का होना था।
मिल रहा अतिशेष शिक्षकों को वेतन
लोक शिक्षण संचालनालय ने सितंबर में निर्देश जारी किए थे। जिसमें 1 नवंबर से किसी भी स्कूल में कुल पदों की संख्या से अधिक शिक्षकों एवं विषयमान से पद विरुद्घ पदस्थ शिक्षकों का वेतन आहरित नहीं किया जा सकेगा। लेकिन युक्तियुक्तकरण के तहत की जाने वाली कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण अभी भी वेतन आहरित किया जा रहा है।
20 बच्चों पर तीन शिक्षक
शहर के बालागंज मावि में इतने बच्चे ही नहीं हैं जितने शिक्षक हैं। चंदरपुरा प्रावि में सत्र के आरंभ में 7 बच्चों पर चार शिक्षक थे। वर्तमान में कुल 20 बच्चे हैं। जिसमें से अधिकतम उपस्थिति 15 के आसपास होती है। एक शिक्षक को अन्यत्र भेज दिया गया है। इसके बाद भी 20 बच्चों के लिए तीन शिक्षक हैं। इसके विपरीत नूतन हाईस्कूल में 175 से ज्यादा विद्यार्थी हैं और सिर्फ एक प्राचार्य मौजूद है। यहां अतिथि शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है।
चल रहा है कार्य
छात्र संख्या के अनुपात में पदस्थापना सुनिश्चित कराने के लिए कार्य चल रहा है। जल्द ही इस कार्य को पूर्ण कर लिया जाएगा।-पृथ्वीराज परमार, जिला शिक्षाधिकारी
यह है प्रावि, मावि में छात्र-शिक्षक अनुपात
-60 छात्रों तक दो शिक्षक।
-61 से 90 छात्रों तक तीन शिक्षक।
-91 से 120 छात्रों तक चार शिक्षक।
-121 से 200 तक पांच शिक्षक।
-150 से अधिक पर पांच शिक्षक, एक हेडमास्टर।
-200 से अधिक होने पर प्रति 35 छात्रों पर एक शिक्षक।