इंदौर। स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के तीन जिलों में प्रशासन आगे आया है। शहडोल कलेक्टर ने जिले में धारा-144 लगा दी है। ग्वालियर में भी कुछ दिन पहले ही कलेक्टर ने इस धारा के सहारे सीबीएसई स्कूलों के प्रबंधन पर लगाम लगाई है। झाबुआ कलेक्टर ने कड़े कदम उठाए हैं। यहां प्रशासन ने कहा है कि अगर स्कूलों ने मनमानी की तो न केवल स्कूलों में ताले जड़ दिए जाएंगे, बल्कि एक साल के लिए स्कूल संचालकों को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर तीन कलेक्टर पैरेंट्स के हित में आगे आ सकते हैं तो बाकी क्यों नहीं?
शहडोल में धारा-144
शहडोल कलेक्टर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने गुरुवार को जिले में धारा-144 लगाई और सीबीएसई स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई। उन्होंने कहा कि नईदुनिया की खबर से ही स्पष्ट है कि सीबीएसई स्कूल गलत राह पर हैं। इसलिए हमने धारा लगाई है। आदेश नहीं मानने वालों को सजा भुगतनी पड़ सकती है। मनमानी कीमत वाली किताबें नहीं चलेंगी। स्कूल को किताबों का सिलेक्शन करने से पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी। कलेक्टर किताब, कागज और छपाई देखेंगे। कीमत उचित होने पर ही अनुमति देंगे। अन्यथा स्कूल को दूसरा पब्लिशर्स चूज करना होगा।
ग्वालियर : 6 स्कूलों की मान्यता समाप्त होगी!
कलेक्टर पी नरहरि ने कहा कि शहर में पहले ही धारा-144 लगा दी गई है। 10 बड़े और प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूलों में मनमानी को रोकने आदेश जारी किए गए हैं। फीस कम कराई। ड्रेस और सिलेबस की फिक्सिंग रुकवाई। कुछ स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। 6 स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की अनुशंसा कर चुका हूं।
झाबुआ में भी एक्शन शुरू
निजी स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं की मोनोपॉली के खिलाफ झाबुआ जिले में भी एक्शन शुरू हो गया है। 'नईदुनिया' मुहिम को आगे बढ़ाते हुए कलेक्टर बी. चंद्रशेखर और जिला पंचायत सीईओ धनराजू एस. ने पाठ्य सामग्री के सेट बनाकर विशेष दुकान से खरीदने के सिस्टम को खत्म करने का जिम्मा उठाया है। जिले के 208 निजी स्कूलों पर निगरानी रखी जाएगी। इनमें 8 सीबीएसई स्कूल हैं। सभी प्रायवेट स्कूलों से जानकारी बुलाई गई है। मार्च के पहले सप्ताह में स्कूलों के प्रबंधन की बैठक भी होगी। पत्र जारी कर शैक्षणिक सामग्री की खरीदी-बिक्री की बाध्यता और एकाधिकार पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश गए हैं।
प्रवेश फॉर्म नि:शुल्क होगा
अपने-अपने जिलों में कलेक्टरों ने आदेश जारी कि प्रवेश फॉर्म नि:शुल्क दें और वेबसाइट पर डाउनलोड करें। आवेदनों की सूची वेबसाइट व नोटिस बोर्ड पर चस्पा हो। अभिभावकों का किसी भी तरह का स्क्रीनिंग टेस्ट न लिया जाए न ही बाध्य किया जाए। रिक्त सीटों की तुलना में अधिक फॉर्म आएं तो लॉटरी सिस्टम से प्रवेश दिए जाएं। आरटीई की धारा-12 के तहत प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 1 में या प्री स्कूल जैसे नर्सरी, केजी 1- केजी 2 में प्रवेश दिया जाएगा। विद्यालय में प्रवेश फॉर्म वितरण और जमा कराने के लिए कम से कम 7 दिन का वक्त दिया जाए।
- कलेक्टर के सख्त आदेश
- नोटिस बोर्ड और वेबसाइट्स पर बताएं कि किस क्लास में कितने बच्चों के एडमीशन हुए और कितनी सीटे खाली हैं।
- स्कूल संचालकों को फीस बढ़ाने के पहले बच्चों के गार्जियन और प्रशासन की सहमति लेना होगी। आवश्यक कारण भी बताना होगा।
- एक्स्ट्रा किताब और एक ही विषय की तीन किताबें नहीं चल सकेंगी।
- गार्जियन को कुछ खास दुकानों से किताबें, स्टेशनरी और ड्रेस खरीदने के लिए विवश नहीं कर पाएंगे।
- कक्षावार फीस का स्ट्रक्चर ऑनलाइन करना होगा। सूचना पटल पर चस्पा भी करना होगा। यह काम प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले करना होगा।
- स्कूल बसों में बच्चे की सुरक्षा, बस का मेंटेनेंस, परिवहन की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन और प्राचार्य की होगी।
- आदेशों का पालन कराने की जिम्मेदारी शिक्षा अधिकारी के साथ ही क्षेत्र के एसडीएम को भी सौंपी गई है।
- गणवेश व पाठ्यक्रम का नमूना स्कूल में लगाकर पहले ही स्पष्ट कर दें। बाधारहित वातावरण, शौचालय, पेयजल की व्यवस्था हो।
धारा 144 और 188 का मतलब
धारा 144 का मतलब है कि कलेक्टर का आदेश नहीं मानना दंडनीय अपराध होगा। अगर पैरेंट्स परेशान हुए तो धारा 188 के तहत जेल में भी डाल सकते हैं। इसमें 200 रुपए जुर्माना, एक साल की सजा या दोनों का प्रावधान है।