उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। । और मप्र सरकार ने सरकारी विमान राज्यपाल बाबू रामनरेश यादव का दिल्ली के लिए विदा कर ही दिया। इस रवानगी ने 1984 की वे यादें ताजा हो गईं जब भोपाल गैस कांड के आरोपी को सरकारी विमान से दिल्ली रवाना किया गया था।
एंडरसन हजारों नागरिकों की मौत का जिम्मेदार था, रामनरेश हजारों बेरोजगारों के भविष्य का गुनहगार कहा जा रहा है। यह तो भविष्य ही बताएगा कि भाजपा सरकार के इस फैसले को इतिहास में किस तरह दर्ज किया गया परंतु एक गंभीर मामले के आरोपी को, फिर चाहे वो राज्यपाल ही क्यों ना हो इस तरह सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराकर एसटीएफ की पहुंच से दूर ले जाने का उपक्रम क्षम्य तो कतई नहीं होना चाहिए।
यदि आप प्रोटोकॉल की बात करते हैं तो कहना ही होगा कि इतिहास बदल रहा है। इससे पहले कभी किसी राज्यपाल को उस राज्य में हुए भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी नहीं बनाया गया था, कुछ लोगों का मानना था कि इस मामले में भी ऐसा नहीं होगा, परंतु हुआ। हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ, तब क्या उस व्यवस्था को शिथिल नहीं किया जा सकता था जो एक राज्यपाल को राजभवन से इस तरह बाहर जाने से की सुविधा देती हो। क्योंकि वो एक गंभीर भ्रष्टाचार के मामले का आरोपी है।
नियम और कानून जनता की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए होते हैं, ऐसे नियम जो व्यापमं घोटाले जैसे गंभीरतम् मामले के आरोपियों को बच निकलने का मौका देते हों, बदल दिए जाने चाहिए। तत्काल प्रभाव से शिथिल कर दिए जाने चाहिए। यदि हाईकोर्ट ने FIR की परमिशन दी थी तो सरकार को विमान उपलब्ध ना कराने और राज्यपाल को राजभवन से बाहर ना जाने का प्रतिबंध भी लगाया जा सकता था परंतु सरकार ने ऐसा नहीं किया। ना ही एसटीएफ ने हाईकोर्ट में इस बावत् कोई आवेदन दिया। जबकि सरकार ऐसा कर सकती थी। वो तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती थी, वकीलों की कमी नहीं है इस सरकार के पास।
एसआईटी तो सीधे हाईकोर्ट के नियंत्रण में है, वो घोटाले के आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती थी, क्योंकि आरोपी राज्यपाल है परंतु पाबंद तो कर सकती थी, आरोपी को पाबंद करने से किसने रोका था।
यदि बाबू रामनरेश दिल्ली एयरपोर्ट से विदेश रवाना हो गए तो...? होंगे या नहीं होंगे, हुए या नहीं हुए यह इसका जवाब नहीं हो सकता, सवाल सिर्फ यह है कि क्या बाबू रामनरेश के विदेश भागने की कोशिशें को रोकने का प्रबंध किया गया है ? क्या सरकार इस लापरवाही के लिए गुनहगार नहीं है ? ठीक वैसे ही जैसे एंडरसन मामले में थी ?