भोपाल। पेट्रोल/डीजल को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है। इसका अर्थ यह कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार के कोड़े सीधे आम आदमी की पीठ पर पड़ेंगे, सरकार कोई राहत नहीं देगी। जब दाम बढ़ रहे थे तब ऐसा ही था परंतु जैसे ही दाम घटे सरकारों ने आम आदमी की जेब काटना शुरू कर दी। सारे टैक्स मिलाकर भी पेट्रोल की कीमत 37 रुपए प्रतिलीटर होनी चाहिए, परंतु मप्र में मिल रहा है 75 रुपए लीटर। सवाल यह है कि ये बीच के 38 रुपए कहां जाते हैं।
देश में पेट्रोल की कीमत कैसे तय होती है
उसकी पूरी प्रोसेस :
क्रूड की करंट वेल्यु = $50/barrel and $1=Rs.63/-
1 Barrel =(159 litres) क्रूड ओइल @ $50 =Rs.3150/-
1 लीटर क्रूड आयल भारत खरीदता है (3150/159) =19.80 रुपयों में,
1 लीटर पेट्रोल के लिए चाहिए नेट क्रूड आयल 0.96 लिटर @19.80 = 19.00 RS./-
अब क्रूड आयल में से एक लिटर पेट्रोल कन्वर्ट करने की फिक्स्ड कोस्ट होती है 6 रूपये (ट्रांसपोर्टेशन कोस्ट मिलाकर)
यानी वेरिएबल कोस्ट रूपये 19.00 रूपये + फिक्स्ड कोस्ट 6 रूपये = 25.00 रूपये में एक लीटर पेट्रोल बनता है..
अब उसमे केंद्र सरकार के excise, custom जैसे टेक्स लगते है
25 % जितने यानी 6 रूपये यानी कुल मिलाकर हुए 31 रूपये और उपर से फिर राज्य सरकार के टेक्स जैसे VAT...
जिसे हम एवरेज 15 % गिने तो होते है 5 रूपये यानी कुल मिलाकर होते है 36 रूपये ..
और आखिर में पेट्रोल पंप डीलरों को पर लीटर 90 पैसे कमिशन दिया जाता है तो होते है कुल 37 रूपये
लेकिन फिर भी आज भी हमे तो पेट्रोल मिल रहा है 75 रूपये में
सरकार ये कौन का गणित लगा रही है, कैसे केल्कुलेट कर रही है, क्यों जनता को उल्लू बना रही है। क्या पूरा खजाना मेर और आपसे वसूले टेक्स से ही भरना चाहती है। बाद में एहसान जताती है कि विकास इन्होने किया।
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