पढ़िए कब से मिलेगा अनुदानित स्कूल/कॉलेज शिक्षकों को 6वां वेतनमान

भोपाल। अशासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेज और स्कूलों के शिक्षकों को एक अप्रैल से 6वां वेतनमान का लाभ मिलेगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया है। सहमति मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग प्रस्ताव को कैबिनेट में लेकर आएगा। इस वेतनमान से अशासकीय संस्थाओं के प्रोफेसर और शिक्षकों को एरियर्स के रूप में 25 से 30 लाख स्र्पए मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय प्राध्यापक संघ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 5वें वेतनमान के साथ 6वां वेतनमान भी देने का निर्णय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 6वें वेतनमान का एरियर्स पांच किस्तों में 6-6 माह के अंतर से देने के साथ वर्ष 2000 से 2005 तक चौथे और पांचवे वेतनमान की बकाया राशि भी देने के निर्देश दिए हैं। इसी के चलते स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा है।

6000 प्रोफेसर-शिक्षकों को मिलेगा लाभ
प्रदेश भर में 6000 लोगों को इस वेतनमान का लाभ मिलेगा। इनमें 75 अशासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेज हैं, जिसमें लगभग 700 प्रोफेसर पदस्थ हैं। वहीं स्कूलों की संख्या 1000 के करीब हैं। इनमें 5000 शिक्षक पदस्थ हैं। वर्ष 1998 तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इन संस्थाओं को अनुदान देना बंद कर दिया था। इसके बाद से प्राध्यापक संघ वेतनमान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

खजाने पर 5000 करोड़ का भार
प्रोफेसर और शिक्षकों को 6वां वेतनमान देने से सरकार के खजाने पर लगभग 5000 करोड़ का अतिरिक्त भार आने की संभावना है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार शिक्षकों को पांच किश्तों में यह राशि दी जाएगी, इससे सरकार को पांच साल तक 900 करोड़ और छठवें वर्ष से 530 करोड़ स्र्पए का हर वर्ष अतिरिक्त भार आएगा।

कैबिनेट कर चुकी है विरोध
प्रदेश की अशासकीय अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षक और कॉलेजों के प्रोफेसरों को 6वां वेतनमान देने का मामला कैबिनेट विरोध कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद सरकार अब मजबूरी में पैसा देने की तैयारी कर रही है। हालांकि सरकार दूसरी और एक बार अपने स्तर पर इन संस्थानों की अपने स्तर पर मैदानी रिपोर्ट भी तैयारी करवा रही है। उसका मानना है कि इनमें अधिकांश संस्थानें फर्जी हैं। यदि यह साबित हो जाता है तो सरकार इस मामले में फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

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