जबलपुर। यहां टीचर ट्रैकिंग ई-अटेंडेस योजना लागू की गई है। इससे 8 हजार शिक्षक प्रभावित होंगे। योजना के तहत सभी शिक्षकों को स्कूल आने और स्कूल से जाते समय अपनी उपस्थिति दर्ज कराने अपने मोबाइल से एक टोल फ्री नम्बर पर एसएमएस (मैसेज) करना होगा।
दरअसल, प्राइमरी और मिडिल स्कूल की शिक्षा में गुणवत्ता लाने के साथ ही लापरवाह शिक्षकों की मनमानी पर अंकुश लगाने जिला शिक्षा केन्द्र नए सत्र से टीचर ट्रैकिंग ई-अटेंडेस योजना लागू करने जा रहा है। योजना की तैयारी लगभग लास्ट स्टेज में है। इसके तहत जिले के करीब 8 हजार शिक्षकों की अटेंडेंस और अबसेंट मोबाइल से सिर्फ एक एसएमएस करने पर लगेगी।
GPS से कनेक्ट रहेगा सर्वर
जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा जीपीएस (ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम) की मदद से टीचर ट्रैकिंग ई-अटेंडेस साफ्टवेयर तैयार कराया गया है। जो पूर्व में स्कूलों में की गई जीपीएस मैपिंग की मदद से जिला शिक्षा केन्द्र के मेन सर्वर से कनेक्ट रहेगा। मेन सर्वर में टोल फ्री मोबाइल नंबर और सभी शिक्षकों के नाम, मोबाइल नंबर व अन्य डाटा सेव किए गए हैं।
ऐसे करेगा काम
शिक्षक का मोबाइल नंबर और यूनिक आईडी होगा।
शिक्षक के स्कूल पहुंचने पर स्कूल परिसर से ही एसएमएस करने के बाद लगेगी हाजिरी।
स्कूल के बाहर से एसएमएस करने पर साफ्टवेयर उसे स्वीकार नहीं करेगा। नाम अनमेच शो करेगा।
अबसेंट शिक्षक का नाम, मोबाइल नंबर डीपीसी और संकुल और स्कूल प्राचार्यों के मोबाइल पर तुरंत पहुंच जाएगा।
दो बार वेतन कटेगा, तीसरी बार सस्पेंड
सत्र 2015-16 से शुरू की जा रही इस नई व्यवस्था के तहत शिक्षक के अबसेंट की सूचना मैसेज पर मिलते ही संबंधित बीआरसी, बीआरसीसी और जनशिक्षकों को स्कूल भेज कर क्रास चेक कराया जाएगा। शिक्षक के अबसेंट पाए जाने पर पहली और दूसरी बार उनका वेतन काटा जाएगा। तीसरी बार में सस्पेंड करने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रयोग सफल तो प्रदेश में लागू होगा
विभागीय अधिकारियों की मानें तो ये नया प्रयोग यदि सफल रहा तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है। इंदौर में शुरू की गई ई-अटेंडेस योजना में एंड्राइड मोबाइल जरूरी है। पर जबलपुर में एंड्राइड मोबाइल जरूरी नहीं है।
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फैक्ट फाइल
2 हजार 252 स्कूलों में होगा लागू।
1 हजार 603 प्राइमरी, 649 मिडिल स्कूल हैं जिले में।
8 हजार शिक्षक हैं।
टीचर ट्रैकिंग ई-अटेंडेस साफ्टवेयर के जरिए शिक्षकों की एसएमएस से अटेंडेंस लगाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। जल्द ही ट्रॉयल लेकर खामियां दूर की जाएंगी। नए सत्र से इसे लागू किया जाएगा।
एमएल पाठक, डीपीसी