भोपाल। प्रदेश में मीना जाति के लोग आदिवासी के नाम पर नौकरियों में आरक्षण सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। सिरोंज में इस जाति को आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है, बाकी अन्य जगह यह ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल हैं। ओबीसी के हजारों लोगों ने आदिवासी जाति का फर्जी प्रमाण बनाकर नौकरियां हासिल कर ली हैं।
रोचक पहलू यह है कि सिरोंज में इस जाति के लोगों की आबादी करीब 8 हजार है, जबकि प्रदेश में इस जाति के प्रमाण पत्र के आधार पर 4 से 5 हजार लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं। राज्य स्तरीय छानबीन समिति ऐसे मामलों की जांच कर रही है। अब तक इसकी सिफारिश पर कई लोगों को नौकरी से हटाया जा चुका है। आदिम जाति कल्याण विभाग ने हाल में मीना जाति के संबंध में राज्य स्तरीय छानबीन समिति को प्रतिवेदन भेजा है।
इसके मुताबिक, मप्र के गठन एक नंवबर 1956 के बाद मप्र में मीना जाति के लिए भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर मीना जाति को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) में रखा था। पर वर्ष 2003 में मप्र की तीन जातियों कीर, मीना और पारधी को अनुसूचित जनजाति की सूची से विलोपित कर दिया गया। राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को फिर से विचार के लिए लिए लिखे जाने के फलस्वरूप 8 जनवरी 2003 से 5 अगस्त 2005 तक इन जातियों के संबंध में कार्रवाई स्थगित रखी गई थी।
5 अगस्त 2008 के बाद इन जातियों को राज्य में एसटी के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम निर्णय के आधार पर निर्देश जारी किए हैं कि मीना जाति के जो अधिकारी- कर्मचारी सिरोंज सब डिवीजन से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर विभिन्न सेवाआें में नियुक्तियां पाकर सेवारत हैं, उनके खिलाफ यदि जाति प्रमाण पत्र के संबंध में जांच प्रचलित है तो वे निरंतर जारी रखा जाए।
इसी आधार पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति जांच कर रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, 4 से 5 हजार लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। इनकी जांच चल रही है।