ग्वालियर। हाईकोर्ट के 2 जजों के फर्जी साइन कर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के बर्खास्त सहायक यंत्री आरके वर्मा ने एक आदेश बनाकर खुद को भ्रष्टाचार के केस में दोषमुक्त कर लिया। इसके आधार पर फिर से नौकरी के लिए पीडब्ल्यूडी के मुख्यालय भोपाल में आवेदन कर दिया।
पीडब्ल्यूडी को आदेश पर संदेह हुआ और इसे ईओडब्ल्यू को भेज दिया। ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट के नकल सेक्शन में इसकी जांच की तो पता चला कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ, जिसमें वर्मा को दोषमुक्त किया गया हो। इस पूरे फर्जीवाड़े से हाईकोर्ट में हड़कंप मचा हुआ है। ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट के प्रिसिंपल रजिस्ट्रार से शिकायत की है।
आरके वर्मा ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की युगल पीठ में क्रिमिनल अपील दायर की है। जिला न्यायालय ने वर्मा को पांच साल की सजा सुनाई व 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। वर्मा ने 17 नवंबर 2014 को हाईकोर्ट का फर्जी आदेश तैयार कराया। इसमें उन्होंने खुद को दोषमुक्त बताया। कोर्ट के सत्यापित आदेश के साथ पीडब्ल्यूडी में फिर से नौकरी के लिए आवेदन प्रस्तुत कर दिया। वर्मा का आवेदन प्राप्त होने के बाद पीडब्ल्यूडी ने हाईकोर्ट का आदेश ईओडब्ल्यू मुख्यालय भोपाल को भेज दिया।
भोपाल से इस आदेश की पुष्टि के लिए ईओडब्ल्यू ग्वालियर को निर्देशित किया गया। पिछले दिनों ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के नकल सेक्शन में आदेश की पुष्टि की। दिनभर इस आदेश को तलाशा गया, तलाश का सिलसिला बुधवार को भी जा रहा। आखिर में कंफर्म हुआ कि हाईकोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया, जिसमें वर्मा को दोषमुक्त किया गया है। इस पूरे वाकये से हाईकोर्ट में हड़कंप मचा गया। ईओडब्ल्यू ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है कि यह आदेश कैसे तैयार किया गया।
आदेश में थी कई खामियां
हाईकोर्ट के नाम से जो फर्जी आदेश बनाया गया था, उसमें कानूनी गलतियां काफी थी।
आदेश पर जो टिकट लगाए थे, काफी अधिक थे।
दो जजों के हस्ताक्षर एक जैसे दिख रहे थे। ऐसा लग रहा था कि एक ही व्यक्ति ने हस्ताक्षर बनाने की कोशिश की है।
भ्रष्टाचार के आरोप में हुई थी सजा
आरके वर्मा पीडब्ल्यूडी के डबरा संभाग में सहायक यंत्री पद पर कार्यरत थे। भितरवार से हरसी तक सड़का मेंटेनेंस किया गया था। देवरी गांव के पास हुए मेंटेनेंस में भारी आर्थिक अनियमितता की गई। वर्मा ने उस सड़क को पास कर दिया था। इसकी शिकायत वर्ष 2001 में ईओडब्ल्यू में की गई। ईओडब्ल्यू ने धारा 420, 120 बी व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। जिला सत्र न्यायालय ग्वालियर ने वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोप में 5 साल की सजा व 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके बाद विभाग ने उन्हें बर्खस्त कर दिया था। जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्होंने क्रिमिनल अपील दायर की थी।
इनका कहना है
भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त एई आरके वर्मा ने हाईकोर्ट का आदेश पीडब्ल्यूडी के समक्ष पेश किया था। हाईकोर्ट में पता किया तो ऐसा कोई आदेश हुआ ही नहीं था। इसकी शिकायत प्रिसिंपल रजिस्ट्रार से की है। पूरे फर्जीवाड़े की जांच कर रहे हैं।
अंशुमन अग्रवाल, एसपी, ईओडब्ल्यू