भोपाल। सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर अभी तक मरीजों को मेडीकल, फिटनेस के सार्टिफिकेट देते आए हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग की एक नई योजना के तहत अब मरीज भी अपना उपचार कराने के बाद अनुभव के आधार पर उपचार करने वाले डॉक्टर को प्रमाण पत्र देंगे। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के उपचार से खिलवाड़ करने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कसने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
उनके द्वारा किए जाने वाले इलाज से मरीज कितने संतुष्ट हैं। इस बात का प्रमाण पत्र लेना पड़ेगा। इस बात की जानकारी के लिए अनेक बिंदुओं पर मरीजों का अभिमत लिया जाएगा। यह योजना इसी माह से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू हो रही है। शासन से आदेश जारी हो गए हैं। विभाग के नए फरमान सुनने के बाद लापरवाही करने वाले डॉक्टरों के कान भी खड़े हो गए हैं। इस आदेश के बाद अब मरीजों को अपने डॉक्टर का रिपोर्ट कार्ड पेश करने का लाइसेंस मिल जाएगा।
लेना होगा अभिमत पत्रक
स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल से हाल ही में यह फरमान जारी किया गया है कि प्रदेश के सभी सीएमएचओ और सिविल सर्जन अपने अधीनस्थ अस्पतालों में मरीजों से अभिमत पत्रक भरवाएं कि वे उनके डॉक्टर द्वारा किए गए इलाज से कितने संतुष्ट है, यदि मरीज उपचार से असंतुष्ट पाया गया तो डॉक्टर पर गाज गिर सकती है।
गंभीरता लानी होगी
अब आने वाले कुछ ही समय में ओपीडी में परामर्श देने वाले और मरीजों का उपचार करने वाले डॉक्टरों को मरीजों से गंभीरता से पेश आना होगा। अभी तक ये होता आ रहा है कि डॉ. मरीजों के साथ भेदभाव करते हुुए उपचार में टालामटोली करते हैं। टालामटोली पूर्वक परीक्षण करते है।
बदल जाते हैं तेवर
स्वास्थ्य विभाग से लाखों का वेतन लेने वाले डॉक्टर सरकारी अस्पताल में अलग तेवर दिखाते हैं। आए दिन मरीजों के उपचार में लापरवाही करने की कई शिकायतें जिले भर से सामने आती हैं लेकिन यही मरीज जब प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों के क्लीनिक में मोटी फीस देकर इलाज कराते हैं तो यहां डॉक्टरों का रवैया बेहद नरम हो जाता है। मरीजों के साथ दोहरे रवैए की भावना रखने वाले डॉक्टरों पर नया फरमान भारी पड़ेगा।
राउंड लेने वाले डाक्टर भी दायरे में
भर्ती मरीजों के लिए भी यह सुविधा भी रहेगी कि वे उस डॉक्टर के बारे में भी अपना अभिमत दे सकेंगे, जिसकी डयूटी राउंड लेने की रहेगी। वह किस मरीज को देखता है, किसी को बगैर देखे ही चला जाता है। मरीजों को किसी तरह की परेशानी तो नहंीं हुई यदि डॉक्टर ने उनसे रूखा व्यवहार किया तो अभिमत में लिख सकते हैं।
अभिमत के प्रमुख बिंदु
मरीजों के पंजीयन के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है। वह सुविधाजनक है या नहीं, जो उपचार किया जा रहा है वह सही है या नहीं,किसी जांच के लिए बाहर का दबाव या सलाह तो नहंी दी जा रही है। अस्पताल में भर्ती होने पर बिस्तर मिला या नहीं। अस्पताल की साफ सफाई व्यवस्था कैसी है। डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई अस्पताल से मिलने में कोई कठिनाई तो नहीं हुई। बाहर से दवाई लाने का तो नहीं कहा गया। अस्पताल में कोई पैसे की मांग तो नहीं की जाती। अस्पताल में दिया गया भोजन और नाश्ता ठीक था या नहीं। क्या डॉक्टर और नर्स का व्यवहार ठीक था।