भोपाल। पिछले दिनों लखनऊ में हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में शनिवार को विकास में संसद की भूमिका पर चर्चा हुई। कई राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने कहा कि प्रगतिशील कानूनों केजरिये संसद ने देश के विकास और सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। चर्चा शुरू करते हुए पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल ने संतुलित विकास के लिए देश के सभी प्राइमरी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम पर आधारित समान शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हमें राइट टू एजूकेशन से ज्यादा राइट एजूकेशन की जरूरत है।
चर्चा में पंजाब, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के पीठासीन अधिकारियों ने विचार रखे। अटवाल ने कहा, जब हम विकास की बात करते हैं तो हमारे दिगाम में यह विचार आता है कि जागरूकता कैसे बढ़ाई जाए। हम तभी प्रगति कर सकते हैं जब जरूरी ज्ञान हो। ज्ञान के लिए शिक्षा पहली जरूरत है। हमारे देश में मौलिक अधिकारों के रूप में शिक्षा का खूब जिक्र होता है लेकिन राइट टू एजूकेशन के बजाय राइट एजूकेशन वक्त की जरूरत है। प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य शिक्षा से इन्कार नहीं किया जा सकता। इस दौरान बच्चों को उच्च मानकों वाली शिक्षा दी जाए। पूरे देश में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम और समान शिक्षा देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, कमजोर बुनियाद पर मजबूत इमारत नहीं खड़ी की जा सकती। उन्होंने महिलाओं के आर्थिक विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान, जनधन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और सांसदों द्वारा गांव गोद लेने की योजनाओं को सराहा। कहा, 2019 तक देश के छह लाख गांवों में से 2500 मॉडल गांव बन जाएंगे।