जासूसी कांड में रिलायंस का हाथ, एक कर्मचारी गिरफ्तार

नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्रालय जासूस कांड में संदेह की सुई रिलायंस की ओर भी मुड़ गई है। इस मामले में क्राइम ब्रांच ने रिलायंस के 1 कर्मचारी को हिरासत में लिया है। रिलायंस से भी हिरासत की बात कबूली है लेकिन जासूस में हाथ होने से इंकार किया है।

दिल्ली पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें आसाराम, ईश्वर सिंह मंत्रालय के ही कर्मचारी हैं। इन दोनों में एक क्लर्क हैं तो दूसरे प्यून हैं। इसके साथ ही पुलिस ने राकेश, लतन और चौबे को गिरफ्तार किया है। पुलिस फिलहाल ने सभों से पूछताछ कर रही है।

एबीपी न्यूज़ के संवाददाता ओपी तिवारी का कहना है कि जिस तरह से इस जासूसी को अंजाम दिया जा रहा था, उससे जाहिर होता है कि ये लोग किसी कंपनी के लिए जासूसी कर रहे थे। ओपी तिवारी के मुताबिक पुलिस का कहना है कि जांच अभी शुरुआती दौर में है। इसलिए किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी। हालांकि पुलिस ये इशारा जरूर दे रही है कि ये जासूसी किसी कंपनी के लिए हो सकती है।

एबीपी न्यूज़ के संवाददाता का कहना है कि जिन दस्तावेज़ों को लीक करने की कोशिश की जा रही थी, वे गोपनीय दस्तावेज़ थे और इन गोपनीय दस्तावेज़ों तक किसी क्लर्क और प्यून की पहुंच नहीं होती, जिससे ये जाहिर होता है कि इस जासूसी कांड में कोई बड़ा अधिकारी भी शामिल हो सकता है.

कैसे पकड़ी गई जासूसी ?
दिल्ली पुलिस ने सूचना के आधार पर 17 फरवरी की रात शास्त्री भवन से तीन लोगो को गिरफ्तार किया ये लोग एक कार में थे औऱ उस कार पर भी भारत सरकार लिखा हुआ था. इन लोगो के पास से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए. पूछताछ के दौरान पता चला कि ये लोग पैट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियो के कमरों की डूप्लीकेट चाबियां बनवा कर कमरो से महत्वपूर्ण दस्तावेज चुराते थे।

सीपी ने बताया कि इन लोगो ने फर्जी कार्ड बनवा रखे थे जिनके आधार पर ये लोग भवन में जाते थे. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार लोगों मे लालता प्रसाद और राकेश कुमार भाई हैं. दोनों टेंपरोरी कर्मचारी थे. और 2012 में दोनों ने नौकरी छोड़ दी. और गिरफ्तार दो अन्य लोग आशाराम और ईश्वर सिंह इनके पिता है. नौकरी के दौरान महसूस हुआ कि ऑफिस से कागज निकालना आसान है. इस काम में उनके पिता आसाराम और ईश्वर सिंह ने साथ दिया.

पुलिस के मुताबिक साजिश इतनी बड़ी थी कि आसारम और ईश्वर जब पेट्रोलियम मंत्रालय के कमरों के अंदर जाते थे तो सीसीटीवी कैमरों को बंद कर देते थे. पुलिस के मुताबिक चोरी किए दस्तावेज प्राइवेट एनर्जी कंस्लटेंसी कंपनी के किसी कर्मचारी को बेचे गए थे.

अब पुलिस इनसे बरामद दस्तावेजों की जांच कर रही है और शक है कि इनके रैकेट में और भी कई ऐसे ही कर्मचारी शामिल हो सकते हैं जिनकी पहुंच दूसरे अधिकारियों के कमरों तक होती है.

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