भोपाल। रेल प्रशासन भले ही इस घटना का दोषी पीड़ित महिला को ठहराए परंतु यह सरासर रेल प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है कि रेलवे स्टेशन पर पटरी पार करती हुई एक महिला को मालगाड़ी ने टक्कर मारी और एक के बाद एक 6 बोगियां उसके ऊपर से गुजर गईं। वो तो ईश्वर का चमत्कार था कि महिला जिंदा बच गई।
हबीबगंज रेलवे चौकी प्रभारी एएसआई बीएस बघेल ने बताया कि शाम करीब 5:45 बजे दिल्ली की तरफ जा रही मालगाड़ी प्लेटफार्म नंबर 3-4 के बीच स्थित मेन लाइन से गुजर रही थी। इस दौरान एक महिला प्लेटफार्म नंबर 4 से प्लेटफार्म नंबर तीन की तरफ पैदल पटरी पार करते आ रही थी। इस दौरान वह मालगाड़ी से टकराने के बाद उसके नीचे गिर गई। हादसे का अहसास होते ही मालगाड़ी के ड्रायवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाए। लेकिन तब तक ट्रेक पर पड़ी महिला के ऊपर से 5-6 बोगियां गुजर चुकी थीं।
मालगाड़ी के रुकते ही लोग मौके की तरफ दौड़ पड़े। लेकिन लोगों ने तब भगवान का शुक्रिया अदा किया, जब महिला खुद ही उठकर बाहर की तरफ निकलने की कोशिश करती दिखी। उसके सिर व पैर में मामूली चोट लगी थी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची 108 एम्बुलेंस से उसे जेपी अस्पताल के फीमेल सर्जिकल वार्ड में दाखिल करा दिया गया है।
श्याम नगर की है महिला
महिला की पहचान हबीबगंज थाने के पास स्थित स्लम बस्ती श्यामनगर निवासी 38 वर्षीय सुमित्रा बाई पत्नी स्व. अनिल के रूप में हुई। यह पता चला है कि वह मानसिक रूप से कमजोर है। हादसे की सूचना पाकर उसके परिजन अस्पताल पहुंच गए थे।
ये है रेल प्रशासन की दलील
रेलवे एक्ट के मुताबिक रेलवे क्रासिंग(गेट खुले होने पर) के अलावा रेल पटरी पैदल पार करना अपराध की श्रेणी में आता है। पकड़ाए जाने पर रेल सुरक्षा बल द्वारा संबंधित व्यक्ति के खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा-147 के तहत कार्रवाई करता है। इसमें अधिकतम एक हजार रुपए तक का जुर्माना या छह माह की सजा या दंड एक साथ देने का भी प्रावधान है।
और ये रही सच्ची बात
हां यह सही है कि पटरी पार करना अपराध है परंतु यदि कोई रेलवे स्टेशन पर पटरी पार कर रहा है तो इसके लिए दोषी रेल प्रशासन है। प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि यदि कोई भी यात्री प्लेटफार्म से पटरी की ओर उतरता है तो उसे तत्काल रोके, किसी दुर्घटना का इंतजार नहीं किया जा सकता परंतु क्या करें रेल प्रशासन को नियमित रूप से रिश्वत देने वाले वेंडर लगातार रेल पटरियां पार करते हैं, यात्री भी देखादेखी उतर जाते हैं। यात्रियों को रोका तो वेंडर को भी रोकना पड़ेगा, फिर रिश्वत पर इफेक्ट पड़ जाएगा। इसलिए दोष यात्री को बताया जाता है। यदि रेल प्रशासन मुस्तैद हो जाए तो स्टेशन पर यात्री तो क्या आवारा जानवर भी पटरी पर नहीं आ पाएंगे।