भोपाल। ऐसे छोटे व्यापारी जिन पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती, उनसे 6 लाख रुपए तक की अधिकतम पेनॉल्टी कैसे ले सकते हैं? 5000 उद्यमी और व्यापारी कमर्शियल टैक्स विभाग द्वारा लगाए गए टैक्स के खिलाफ अपील में चले गए हैं, फिर उनसे वसूली क्यों हो रही है? ऑनलाइन कंपनियां सस्ते उत्पाद बेचकर टैक्स देने वाले व्यापारियों को खत्म कर रही हैं, उनसे टैक्स क्यों नहीं लिया जा रहा?
उद्यमी, व्यापारी और टैक्स प्रैक्टिशनर्स ने ये सवाल वित्त मंत्री जयंत मलैया से किए। मौका था पर्यावरण परिसर के एप्को भवन के सभागार में आयोजित बजट पूर्व चर्चा के पहले चरण का। व्यापारी और उद्यमियों ने साफ कहा कि बजट में ऐसे प्रावधान करें कि बिजनेस करना आसान रहे। भारी पेनॉल्टी और ज्यादा टैक्स हमारे लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। यहां प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर मनोज श्रीवास्तव और वित्त सचिव मनीष रस्तोगी मौजूद थे।
TDS मिलने में देरी पर पेनाल्टी नहीं लगाए
मप्र ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सोगानी ने बताया कि कई बार व्यापारियों को सरकारी एजेंसियों से टीडीएस सर्टिफिकेट देर से मिलता है। इसके बिना टैक्स रिटर्न नहीं भरा जा सकता। कमर्शियल टैक्स विभाग दलील सुने बिना पेनाल्टी लगा देता है। बजट में इसका ध्यान रखा जाए।
जिन पर TAX देनदारी नहीं, उनसे पेनाल्टी कम लें
वाणिज्यिक कर विशेषज्ञ एस. कृष्णन ने कहा कि कई डीलर ऐसे हैं जिन पर कोई टैक्स की देनदारी नहीं निकलती, लेकिन उन्हें भी रिटर्न फाइल करना पड़ता है। रिटर्न फाइल नहीं करने पर छह लाख रु. तक की पेनाल्टी लग जाती है। सरकार ऐसे प्रावधान करें ताकि पेनाल्टी 500 रुपए से ज्यादा न हो।
बिल्डरों पर लगने वाला ENTRY TAX हटाया जाए
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की भाेपाल ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि बिल्डरों को सरकार वैट अधिनियम के दायरे में ला चुकी है। इसके बाद भी उन पर पहले से जारी प्रवेश कर वसूला जा रहा है। सरकार को चाहिए कि इस बजट में वह बिल्डरों पर लगने वाला प्रवेश कर हटाए।
लोहे पर VAT 5% से घटाकर 2% करो
लोहा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र ओसवाल ने कहा कि सरकार लोहे पर पांच फीसदी वैट लेती है। इसे घटाकर दो फीसदी किया जाना चाहिए, क्योंकि पड़ोसी राज्यों में टैक्स की दर काफी कम है। साथ ही किसी नए डीलर का पंजीकरण करते समय व्यापारी एसोसिएशन से पंजीकरण भी कराया जाए।