रतीराम श्रीवास/टीकमगढ। मध्यप्रदेश के टीकमगढ जिले मे सरकारी योजनाओं की कालाबाजारी जारी है। आगनबाॅडी योजना जिसके माध्यम से धात्री महिलाओ, किशोरी बालिकाओ एवं बच्चो को पोषण आहार वितरण किया जा रहा है, जिससे कुपोषण को जड से मिटाया जा सके, लेकिन यहां पोषण आहार खुलेआम बाजारों में बेच दिया जा रहा है।
भरोसेमंद सूत्रो का कहना हे की टीकमगढ जिला का अधिकांश क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। जिसमे ब्लाॅक स्तर के परियोजना अधिकारी अपना रैनबसेरा उत्तरप्रदेश मे बना कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं की परियोजना अधिकारी व सुपरबाइजर आॅगनबाडी केन्द्र का निरीक्षण करने क्षेत्र मे कभी नही आते अपने दलालो के माध्यम से वितरण पंजी स्टोक पंजी निरीक्षण पंजी अपने रैनबसेरा पर मंगाॅकर खानापूर्ति कर लेते हैं। तहसील पलेरा जतारा क्षेत्र के बच्चो का पोषण आहार उत्तरप्रदेश के बाजारों मे खुलेआम बेचा जा रहा है।
ऐसा भी नही हे की इसकी जानकारी जिला कार्यक्रम महिला बाल विकास अधिकारी को न हो लेकिन बराबर हक मिलने के कारण सब के सब चुप हैं।
इनका कहना है
जिला कार्यक्रम महिला बाल विकास अधिकारी दिनेश दीक्षित ने एक जानकारी मे बताया है की टीकमगढ जिला मे कुल आगनबाॅडी केन्द्र 1406 मिनी आगनबाॅडी केन्द्र 205 हे इस प्रकार कुल 1611 आगनबाॅडी केन्द्र संचालित हैं, जिसमे कुल दर्ज संख्या बच्चों की 12 13 हजार के लगभग हे जिनमे कुपोषण से ग्रस्त बच्चो की संख्या 1892 है।
श्री दीक्षित का कहना है अभी तहसील लेवल से आगनबाॅडी केन्द्रो मे बच्चो की संख्या दर्ज का अभिलेख मगाया नही है, लेकिन टीकमगढ जिला मे संचालित आगनबाॅडी केन्द्रों मे कुल दर्ज बच्चो की संख्या लगभग 12 13 हजार है, जिसमे कुपोषण से ग्रस्त बच्चो की संख्या 1892 है.
जब एक जिम्मेदार जिला के महिला बाल बिकास अधिकारी की ये स्थिति है की बच्चो की दर्ज संख्या का क्लीयर अभिलेख मौजूद नही हे इससे स्वतः अंदाजा लगाया जा सकता हे की आगनबाॅडी केन्द्र किस प्रकार संचालित किये जा रहे हे और मैदानी अमला अपनी जिम्मेदारी किस प्रकार निभा रहा है।