भोपाल। टीवी और अखबारों में भले ही शिवराज सरकार स्वाइन फ्लू से लगातार लड़ रही हो। हर अस्पताल में इलाज के पुख्ता बंदोबस्त बताए जा रहे हों, सरकार को सबसे संवेदनशील प्रमाणित किया जा रहा हो परंतु हाईकोर्ट में सरकार का दाखिल जवाब कुछ और ही बयां कर रहा है। सरकार ने कहा है कि अब गर्मियां आ गईं हैं इसलिए स्वाइन फ्लू के इलाज के इंतजाम करने की जरूरत ही नहीं है।
स्वाइन फ्लू को लेकर लगी जनहित याचिका पर सरकार के जवाब बुधवार को हाई कोर्ट में पेश किए गए। सरकार का जवाब है कि गर्मी आ गई है और स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में कमी आ रही है, इसलिए वेंटिलेटर बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुभदा वाघमारे और जेके जैन की युगलपीठ ने एडवोकेट अजय मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह सरकार को कई निर्देश दिए थे, सरकार ने दो दिन पहले ही जवाब पेश कर दिया था। लिखित जवाब बोर्ड के सामने रखे गए। हाईकोर्ट ने सरकार को मरीजों की संख्या के हिसाब से वेंटिलेटर बढ़ाने के निर्देश दिए थे, जिस पर सरकार ने कहा कि गर्मी आ गई है, इसलिए इसकी जरूरत नहीं है। जवाब की प्रतिलिपि याचिकाकर्ता के वकील अजय बागड़िया को सौंपी गई है, जिस पर अब वे अपना जवाब देंगे।
हाई कोर्ट ने क्या पूछा और जवाब क्या आया
ये पूछा था : स्वाइन फ्लू के सैंपल जांच के लिए लैब स्थापित करने के लिए उचित कदम उठाएं।
ये कहा : सरकार ने लैब के संबंध में कुछ भी नहीं कहा।
पांच वेंटिलेटर किराए पर और सरकार कह रही जरूरत नहीं
हाई कोर्ट में सरकार ने यह तो कह दिया कि वेंटिलेटर बढ़ाने की जरूरत नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि एमवाय अस्पताल इंदौर में पांच वेंटिलेटर किराए पर लेकर काम चलाया जा रहा है। एमवायएच में 32 वेंटिलेटर हैं और इनमें से एक खराब है। एमवायएच अधीक्षक डॉ. एडी भटनागर ने बताया कि इस बार मरीजों की संख्या बढ़ने से किराए पर वेंटिलेटर लेना पड़े। कुछ प्राइवेट अस्पताल ने परोपकार के उद्देश्य से बिना किराए के भी वेंटिलेटर दिए हैं।
खुद खरीद लें तो मरीजों को फायदा
प्राइवेट अस्पताल में आईसीयू, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का खर्च 8 से 10 हजार रुपए प्रतिदिन आता है, जबकि एमवायएच में यह मुफ्त होता है। एक वेंटिलेटर की कीमत सामान्यतः 6 से 7 लाख रुपए होती है। अच्छी क्वालिटी का वेंटिलेटर 10 से 12 लाख रुपए में मिल जाता है।
बड़ा सवाल
क्या इतनी सी रकम बचाने के लिए सरकार कह रही है कि गर्मी आ गई है इसलिए वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है या फिर मामला कुछ और ही है। हम फिर से दोहरा दें वो खुला आरोप जो इस मामले में सरकार पर लगातार लगाया जा रहा हे कि 'मेडिकल माफिया की मिली भगत के चलते प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज के बंदोबस्त नहीं किए गए।'