नई दिल्ली। सहारा चीफ की परेशानी बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को इसके नियमों के उल्लंघन मामले में सहारा ग्रुप पर कार्रवाई शुरू करने की इजाजत दे दी है।
कोर्ट ने सहारा ग्रुप से जवाब मांगा है कि उसने आरबीआई के हवाले रखे गए सिक्युरिटी को कैसे कैश करा लिया। उसे कहीं और डायवर्ट किया गया और इसके लिए कोर्ट को भी जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश कभी नहीं था कि सिक्युरिटी को कैश कराने के बाद वह रकम डिपॉजिटर को दे दिया जाए, बल्कि उसे सहारा सेबी अकाउंट में रखना था। अदालत ने सहारा के वकील से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताएं कि कैसे रुपये इन्वेस्टरों को दिए गए और यह बताया जाए कि यह कैश के तौर पर दिए गए या फिर चेक पेमेंट किया गया।
इससे पहले आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सहारा ग्रुप ने करीब 484 करोड़ रुपये का सिक्युरिटी डिपॉजिट बिना आरबीआई कंसेंट के इनकैश करा लिया। आरबीआई ने आरोप लगाया कि ये रकम इन्वेस्टर को दिए जाने के लिए सहारा सेबी अकाउंट में जमा होना था लेकिन इस रकम को सहारा की अन्य कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया। सहारा ग्रुप ने इस दौरान यह कहा कि यह रकम डिपॉजिटर को दिए गए हैं। लेकिन आरबीआई ने ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि कुछ रकम ही वापस किया गया। साथ ही आरोप लगाया कि वह रकम सहारा फर्म की अन्य कंपनियों के अकाउंट में ट्रांसफर किया गया।
सहारा ग्रुप की सफाई भी सुने RBI
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया और सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि सहारा ने कैसे सिक्युरिटी डिपॉजिट की रकम को बिना इजाजत के कैश कराया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि आरबीआई को नियमों के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई से नहीं रोका जा सकता। अदालत ने कहा कि सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी इस मामले में उल्लंघन किया है। अदालत ने आरबीआई को इजाजत दे दी है कि वह नियमों के उल्लंघन के मामले में कानून के तहत सहारा ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई शुरू करें। साथ ही कोर्ट ने आरबीआई से कहा है कि वह इस मामले में सहारा ग्रुप की ओर से दी गई सफाई को भी सुनें।