सुरेन्द्र कुमार पटेल/भोपाल। अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर मध्यप्रदेश के अध्यापक व संविदा शिक्षक एक बार फिर लामबंद हो रहे हैं। आजाद अध्यापक संघ के नाम से बना नया अध्यापक, संविदा शिक्षक संघ इसकी अगुवाई कर रहा है। जैसा इस संगठन का नाम है, वैसी ही इसकी कार्यप्रणाली है। इस संगठन में सभी अध्यापकों को खुलकर भाग लेने का आह्वान किया जा रहा है।
इस संगठन में कोई एक चेहरा नहीं है। बल्कि मध्यप्रदेश के कोने कोने से अपनी काबिलियत व क्षमता के आधार पर प्रत्येक अध्यापक इस मुहिम का हिस्सा बन रहा है। वास्तव में अब अध्यापक किसी एक नेता की गुलामी से बाहर निकलकर आम होकर आम लड़ाई लड़ रहा है। इस संगठन ने स्पष्ट किया है कि इसमें नफा नुकसान किसी एक व्यक्ति विशेष का न होकर सभी अध्यापक व संविदा शिक्षकों का होगा। यदि आन्दोलन से हमारी बात सरकार तक पहुंच पाती है तो इसका श्रेय आम अध्यापकों को जाएगा और लाभ मिलेगा।
इसके विपरीत यदि हम अपनी बात प्रभावशाली ढंग से पहुंचाने में असफल होते हैं तो इसका गुनाहगार भी हर वो अध्यापक होगा जो मुहिम में शामिल न होकर किसी करिश्मा के इंतजार में है और नुकसान भी आम अध्यापक का ही होगा। इसलिए आह्वान किया गया है कि प्रदेश का हर अध्यापक अपनी आवाज को चाहे वह जिस उचित रूप में उठा सकता है ए सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करे।
आजाद अध्यापक संघ ने जिन पांच प्रमुख मांगों को उठाया हैए वे सरकार के लिए अब बहुत कठिन नहीं हैं।यदि सरकार चाहे तो अध्यापकएसंविदा शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर समय रहते उनका निराकरण कर सकती है और अध्यापक व संविदा शिक्षकों की चहेती सरकार बन सकती है।इससे माननीय शिवराज सरकार की छवि तो निखरेगी हीएअध्यापक भी एक बार फिर उत्साह पूर्वक काम करते हुए शिक्षाजगत में क्रान्ति का आगाज करेंगे । फिलहाल गेंद सरकार के पाले में है।सरकार चाहे तो अध्यापकों की मांगों को मानकर सहज ही लोकप्रियता हासिल कर सकती है।
एक नजर अध्यापकों की मांगों पर
1.अध्यापक संवर्ग का स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक संवर्ग में संविलियन किया जावे एवं शिक्षक संवर्ग की समस्त सुविधाओं का लाभ प्रदान किया जावे।
2.अध्यापक संवर्ग को राज्यए निगम एमंडलए अनुदान प्राप्त अषासकीय विद्यालयों के शिक्षकों की भांति एक मुश्त छठावेतन प्रदान किया जावे।
3.अध्यापक संवर्ग की स्वैच्छिक स्थानांतरण नीति जारी की जावे।
4.संविदा शाला शिक्षकों की परिवीक्षा अवधि 1 वर्ष की जावे व मानदेय को दोगुना किया जावे।
5.वरिष्ठ अध्यापकों और सहायक अध्यापकों ;प्रयोगशाला सहायकध्व्यायामध्संगीतध्तबलाद्ध एवं उद्योग शिक्षक ;अध्यापकद्ध की पदोन्नति नीति बनाई जावे एवं जिन जिलों में पदोन्नति प्रक्रिया लंबित हैए वहां शीघ्र पदोन्नति की कार्यवाही कराई जावे। सहायक अध्यापकों एवं वरिष्ठ अध्यापकों के अंतरिम राहत की गणना में हुई त्रुटि को सुधारकर नियमानुसार अंतरिम राहत प्रदाय किया जावे।
अध्यापक व संविदा शिक्षक संवर्ग की उपरोक्त सभी मांगें न्यायोचित हैं।यही कारण है कि प्रदेश के जनप्रतिनिधि व अधिकारीगण प्रायः ही अध्यापकों की इन मांगों का समर्थन करते हैं। फिर ऐसी क्या वजह है जिसके कारण इन मांगों को सरकार पूरा नहीं कर पा रही है।उपरोक्त में पदोन्नति व स्थानांतरण जैसी मांग भी शामिल है जिसमें वित्त की समस्या नहीं है।केवल प्रशासनिक इच्छा.शक्ति के अभाव में अध्यापकों को जानबूझकर आन्दोलन की आग में झोंका जा रहा है।स्थानांतरण के प्रश्न पर अध्यापक इस बात पर राजी हैं कि सरकार चाहे तो अध्यापकों की कुल संख्या का स्थानांतरण योग्य प्रतिशत निर्धारित कर दे।सरकार चाहे तो 3 वर्ष से 5 वर्ष के कम से कम एक स्थान पर कार्य करने की सीमा भी निर्धारित कर दे।किंतु रोजगार के नाम पर किसी को आजीवन परिवार से विलग रखना कदापि न्यायोचित नहीं है।
इसी प्रकार एक मुश्त छठा वेतन की मांग है।छठा वेतन सरकार ने अपने कर्मचारियों को 2006 में दिया है। उसे 9 वर्ष बीत चुके हैं। क्या सरकार अध्यापकों को 9 वर्ष बाद भी छठा वेतन नहीं दे सकतीघ् याद दिला दें कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुदान प्राप्त अशासकीय शिक्षकों को 2006 से ही छठा वेतन देने का आदेश पारित किया है जिसका भुगतान करने की तैयारी भी सरकार कर रही है। तो क्या अध्यापक अशासकीय शिक्षकों से भी गए बीते हैंघ् यह सरकार को सोचना चाहिए।
सरकार अंतरिम राहत की 2 किश्त दे चुकी है।2015 में तीसरा किश्त देना ही है। ऐेसे में यदि सरकार 3रे किश्त के साथ एक और अतिरिक्त किश्त चौथा किश्त देकर एकमुश्त छठा वेतन देकर शिक्षक संवर्ग के वेतन में 2015 में ही समायोजन कर सकती है। यह उतना कठिन नहीं है जितना सरकार समझ रही है।
इसी प्रकार संविदा शाला शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि का मामला है।आपको ध्यान दिला दें कि सर्वशिक्षा अभियान व अन्य विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को मंहगाई भत्ता दिया जाता है।जिससे समय.समय पर उनके वेतन में वृद्धि होती रहती है।संविदा शिक्षकों को एक निश्चित राशि दी जाती है।जिसका निर्धारण राज्य सरकार करती है।पुराना मानदेय 2500ए3500ए4500 को पूरे 10 सालों तक चलाया गया।जिसे 10 वर्ष बाद बढ़ाकर दोगुना किया गया।इतने समय में मंहगाई बढ़कर चार गुना हो जाती है।अब पिछले मानदेय का निर्धारण हुए 5 साल होने जा रहा है । अतः यह उचित है कि संविदा शिक्षकों का मानदेय दोगुना किया जावे व परिवीक्षा अवधि अन्य विभागों के अनुसार ही मात्र 1 वर्ष रखी जावे।
जहां तक बात अंतरिम राहत की विसंगति की है।यह वास्तव में अधिकारियों द्वारा अंतरिम राहत की गणना में की गई त्रुटि हैएजिसे सरकार को स्वीकार कर संशोधन करना चाहिए।यदि सरकार इसमें संशोधन करने से इंकार करती है तो उसकी नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है। आखिर सरकार ने जो चीज कैबिनेट में पारित की है उससे वह कैसे मुकर सकती है।कैबिनेट में पारित है कि अध्यापक संवर्ग व शिक्षक संवर्ग के वेतन अंतर को अंतरिम राहत के रूप में 4 वर्षों में समायोजित किया जावे। किन्तु अधिकारियों ने शिक्षक संवर्ग के सहायक शिक्षक के मूल वेतन 7440 के बजाय 5200 व व्याख्याता के मूल वेतन 10230 के बजाय 9300 से अध्यापक संवर्ग के वेतन का अंतर निकाला है।इसे सरकार किस प्रकार उचित ठहरा रही हैए यह समझ से परे है। सरकार इसे नाहक में प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रही है।
एक ही स्कूल और एक ही विभाग में कई संवर्ग होने के कारण कर्मचारी व अधिकारियों के मध्य प्रायः ही टकराव देखने को मिलता है।कभी सीनियर.जूनियर के नाम पर एकभी पदोन्नति के नाम पर तो कभी सीएसीएबीएसीएबीआरसीसी एएईओ आदि की भर्तियों के नाम पर।समान कार्य व योग्यता के बावजूद अलग.अलग वेतनमान मिलने से कर्मचारियों में कुण्ठा का जन्म होता है। स्कूल व शिक्षाविभाग कुश्ती का अखाड़ा बने हुए हैं।जिससे विभाग व स्कूलों की छवि धूमिल होती है और अध्यापन कार्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए बहुत हो गयाए शिक्षाकर्मी और गुरूजी के जन्म को 17.18 वर्ष बीत गए।अब माननीय शिवराज सरकार को अपने वायदे पूरे करने चाहिए।जिसके लिए माननीय श्री शिवराज सिंह जी चैहान जाने जाते हैं।
अध्यापक साथियों को इसे सरकार से टकराव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।सरकार की बहुत सी प्राथमिकताएं हैं।सरकार अन्य कार्यों में व्यस्त होती है।यदि हम ही अपना दर्द नहीं जानेंगे तो यह कभी भी सरकार की प्राथमिकता नहीं बन पाएगा।इसलिए आजाद अध्यापक संघ के प्रांतीय कार्यकारिणी के निर्णय अनुसार हम सभी अध्यापक साथियों को इस मुहिम में शामिल होना चाहिए।
सुरेन्द्र कुमार पटेल