स्वाइन फ्लू के वायरस से खुद को अगर सुरक्षित रखना है तो आयुर्वेद में इसके बहुत ही सरल और सस्ते उपाए हैं। प्रतिदिन नीम की पत्ती के साथ काली मिर्च का बीड़ा बनाकर खाने से स्वाइन फ्लू का वायरस अटैक नहीं करता।
नीम की पत्ती के साथ काली मिर्च का सेवन करने से इम्यून पॉवर बढ़ती है। इम्यून पॉवर बढ़ने पर किसी भी तरह के संक्रमण के फैलने की आशंका बहुत ही कम हो जाती है। कुछ इसी तरह के और उपाए लोगों तक पहुंचाने के लिए गुरुवार को शहर में आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों ने जागरूकता रैली निकली।
आयुर्वेदः
स्वाइन फ्लू को आयुर्वेद की भाषा में वात्स्लेसमिक ज्वर कहा जाता है, जो वायु व कफ की वजह से होता हैै
इसके मरीज को आयुर्वेद में सोंठ, काली मिर्च, तुलसी का काढ़ा बनाकर पिलाया जाता हैै
त्रिभुवन कीर्तिरस सोतोकलादिचूर्ण, मयूरपित्स भस्म और स्वर्णबसंत माल्ती भी मरीज को दी जाती हैै
एलोपैथीः
स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा एच 1-एन 1 वायरस के कारण होता है
यह वायरस श्वसन तंत्र पर सबसे पहले अटैक करता है। इससे यह रोग जानलेवा हो जाता है।
एलोपैथी में स्वाइन फ्लू के मरीजों को टेमीफ्लू दवा दी जाती है
होम्योपैथीः
होम्योपैथी में स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए सेंट्रल कौंसिल ऑफ होम्योपैथी दिल्ली में रिसर्च हुआ था।
होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है
शुरुआत में लक्षण सामने आने पर आर्सेनिक एल्वम-30 दवा दी जाती है
अगर काली मिर्च के साथ नीम की पत्ती प्रतिदिन खाएं तो किसी तरह का संक्रमण नहीं हो सकता। इसके अलावा स्वाइन फ्लू के वायरस से निपटने के लिए आयुर्वेद में कई उपचार हैं।
डॉ.महेश शर्मा, प्राचार्य, आयुर्वेदिक महाविद्यालय, ग्वालियर
स्वाइन फ्लू जैसे रोगों से निपटने के लिए होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है। शुरुआत में आर्सेनिक एल्वम-30 दवा दी जाती है।
डॉ.राजेश गुप्ता, चिकित्सक, होम्योपैथी