भोपाल। शहर में 2 तरह के बाल भिखारी देखे जाते हैं एक वो जो सीधे सीधे आपके सामने हाथ फैलाकर खड़े हो जाते हैं और दूसरे वो जो अपने हाथ में अखबार या दूसरे उत्पाद दिखाकर भीख मांगते हैं। आप उत्पाद खरीदें या ना खरीदें, उन्हें बस 1 रुपया दे दें, यही उनका टारगेट होता है। पुलिस ने सीधे भीख मांगने वाले बाल भिखारियों के खिलाफ अभियान चलाने का ऐलान किया है।
यहां बता दें कि दोनों ही तरह के बाल भिखारियों को अलग अलग रैकेट द्वारा आपरेट किया जाता है। ये बाल भिखारी पूरे भोपाल के हर चौराहे पर जान जोखिम में डालकर 1 रुपया मांगते हुए आसानी से मिल जाते हैं। इनके इंचार्ज पीछे खड़े होते हैं और हर घंटे इनके पास इकट्ठा हुए पैसे वसूल लेते हैं।
चौराहों पर अखबार या दूसरे उत्पाद बेचने का काम करते दिखाई देने वाले बालभिखारी भी इसी प्रक्रिया में काम करते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि सीधे भीख मांगने वाले भिखारियों के रैकेट का सरगना अनपढ़ और सरकारी रिकार्ड में दर्ज बदमाश है जबकि इंडारेक्ट भीख मांगने वाले बाल भिखारियों के रैकेट का सरगना उच्चशिक्षित एवं सभ्य।
चाइल्ड लाइन की अर्चना सहाय ने का कहना है कि भिक्षावृत्ति रोकने का अभियान आज से शुरू हुआ है। महीना भर चलने वाला अभियान 28 फरवरी को समाप्त होगा। आॅपरेशन स्माईल की टीम ऐसे बच्चों को तलाश कर उन्हें आश्रम स्थल पहुंचाने में सहयोग करेगी। दरअसल सात फरवरी को सलाहकार बोर्ड की बैठक आयोजित हुई थी। इसमें भिक्षावृत्ति से मासूमों को अलग करने के अभियान शुरू करने का निर्णया लिया गया था। आॅपरेशन स्माईल की टीम, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग का सहयोग इस अभियान को मिलेगा।
अब सवाल यह उठता है कि पुलिस विभाग का यह अभियान सचमुच चौराहों पर चलेगा या मीडियाई बयानबाजी के साथ ही समाप्त हो जाएगा।