भोपाल। सरकारी अस्पतालों में लापरवाह डॉक्टर और नर्सों पर अब तत्काल कार्रवाई की तैयारी है। स्वास्थ्य विभाग के प्रस्तावित मसौदे में प्रथम व द्वितीय श्रेणी के स्वास्थ्य अधिकारियों सहित निचले मैदानी अमले पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के अधिकार संभागीय, जिला, ब्लॉक स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों को मिलेंगे। इसे मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता वाली सीनियर सेक्रेटरी कमेटी ने मंजूरी दे दी है। कैबिनेट में मंजूरी के बाद प्रस्ताव को लागू कर दिया जाएगा।
कमेटी ने विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण को प्रस्ताव में मैदानी अध्ािकारियों को सजा देने के साथ सीआर लिखने के अधिकार देने का सुझाव दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के सिविल सेवा नियम 1966 में संशोधन वाले प्रस्तावित मसौदे में मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों को सजा देने और सीआर लिखने के अधिकार रीजनल संयुक्त संचालक, सीएमओ, सिविल सर्जन, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर और सेक्टर अधिकारी को दिए जाएंगे। ताकि लापरवाह डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, पैथोलॉजी कर्मियों आदि पर तत्काल कार्रवाई हो सके।
अभी यह अधिकार स्वास्थ्य संचालक को है। हालांकि प्रस्ताव में कार्रवाई करने वाले अधिकारी से वरिष्ठ को अपील अधिकारी भी बनाया गया है, जिसके पास दंडित कार्रवाई के विरुद्ध अपील कर सकेगा।
बेहतर होंगी स्वास्थ्य सेवाएं
वर्तमान में कार्रवाई अधिकार हेल्थ डायरेक्टर के पास होने से महकमे में प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा, जांच सहित महंगे उपकरण होने पर भी लोग परेशान हैं। अधिकारों के विकेंद्रीकरण से व्यवस्था में सुधार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।